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गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप के लक्षण

Hindi
8 min read
Naimish Mishra
Written by
Naimish Mishra
Posted on
November 20, 2025
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उच्च रक्तचाप, जिसे सामान्य रूप से हाइपरटेंशन के नाम से जाना जाता है, गर्भावस्था के दौरान एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। गर्भवती महिलाओं में उच्च रक्तचाप के कारण कई जटिलताएं हो सकती हैं, जिनमें प्रीक्लेम्पसिया, गर्भपात का खतरा, और शिशु के विकास पर नकारात्मक प्रभाव शामिल हो सकते हैं। 

गर्भावस्था के दौरान शरीर में कई प्रकार के हार्मोनल और शारीरिक बदलाव होते हैं। इन्हीं बदलावों के कारण कई बार रक्तचाप असंतुलित हो सकता है। सामान्यतः गर्भवती महिलाओं का रक्तचाप गर्भावस्था की शुरुआती चरणों में थोड़ा कम हो सकता है, लेकिन जैसे-जैसे गर्भावस्था का समय बढ़ता है, कई महिलाओं में रक्तचाप बढ़ने की संभावना रहती है। यह स्थिति खतरनाक हो सकती है और समय रहते इसका उपचार करना आवश्यक होता है।

गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप का सामान्य परिचय

गर्भावस्था के दौरान रक्तचाप सामान्य से अधिक हो जाना एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। जब गर्भवती महिला का रक्तचाप 140/90 mmHg या उससे अधिक हो जाता है, तो इसे उच्च रक्तचाप या गर्भावस्था-जनित हाइपरटेंशन कहा जाता है। इसके विभिन्न प्रकार होते हैं, जिनमें गर्भावस्था-जनित हाइपरटेंशन, क्रॉनिक हाइपरटेंशन, और प्रीक्लेम्पसिया शामिल हैं।

गर्भावस्था-जनित हाइपरटेंशन वह स्थिति है जब गर्भावस्था के 20 हफ्तों के बाद रक्तचाप बढ़ता है, जबकि क्रॉनिक हाइपरटेंशन वह होता है जो गर्भावस्था से पहले भी मौजूद हो सकता है और गर्भावस्था के दौरान जारी रहता है। प्रीक्लेम्पसिया गर्भावस्था के दौरान सबसे गंभीर स्थिति होती है, जिसमें उच्च रक्तचाप के साथ-साथ शरीर में सूजन और प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है।

उच्च रक्तचाप के लक्षण गर्भावस्था में

गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप के कई सामान्य और विशिष्ट लक्षण हो सकते हैं। कई बार ये लक्षण स्पष्ट नहीं होते और केवल जांच के दौरान ही इसका पता चलता है, लेकिन कुछ मामलों में ये लक्षण गंभीर रूप से सामने आ सकते हैं।

सिरदर्द

सिरदर्द एक सामान्य लक्षण है जो उच्च रक्तचाप से जुड़ा हो सकता है। गर्भावस्था में सिरदर्द सामान्य हो सकता है, लेकिन अगर यह बहुत अधिक तीव्र और लगातार हो रहा है, तो यह हाइपरटेंशन का संकेत हो सकता है। उच्च रक्तचाप के कारण मस्तिष्क को सही से रक्त की आपूर्ति नहीं हो पाती, जिससे सिरदर्द हो सकता है।

दृष्टि में समस्या

जब किसी गर्भवती महिला को उच्च रक्तचाप होता है, तो वह दृष्टि में धुंधलापन, दोहरा दिखाई देना या दृष्टि से संबंधित अन्य समस्याओं का अनुभव कर सकती है। यह संकेत हो सकता है कि रक्तचाप मस्तिष्क या आंखों की रक्त वाहिकाओं पर प्रभाव डाल रहा है। यदि दृष्टि में अचानक कोई समस्या होती है, तो यह एक आपातकालीन स्थिति हो सकती है, और तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए।

छाती में दर्द या भारीपन

गर्भावस्था के दौरान छाती में दर्द या भारीपन का अनुभव करना हृदय और रक्तचाप से जुड़ा हो सकता है। यह लक्षण उच्च रक्तचाप के कारण हृदय पर अतिरिक्त भार पड़ने से उत्पन्न हो सकता है। छाती में किसी भी प्रकार का दर्द हृदय या रक्तवाहिकाओं में गड़बड़ी का संकेत हो सकता है और इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

सांस लेने में कठिनाई

सांस लेने में कठिनाई उच्च रक्तचाप का एक और लक्षण हो सकता है। यह तब होता है जब उच्च रक्तचाप फेफड़ों और दिल पर प्रभाव डालता है। इस स्थिति में, गर्भवती महिला को गहरी सांस लेने में कठिनाई हो सकती है या उसे महसूस हो सकता है कि उसकी सांस फूल रही है।

अत्यधिक थकान

गर्भावस्था में थकान सामान्य है, लेकिन अगर यह थकान अत्यधिक हो रही है और बिना किसी विशेष कारण के है, तो यह उच्च रक्तचाप का संकेत हो सकता है। उच्च रक्तचाप शरीर को अधिक मेहनत करने पर मजबूर करता है, जिससे थकावट होती है।

पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द

गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप के कारण पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द हो सकता है, खासकर पसलियों के नीचे। यह दर्द तीव्र हो सकता है और इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह प्रीक्लेम्पसिया का संकेत हो सकता है।

पेशाब में प्रोटीन की मात्रा

यदि गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप के साथ पेशाब में प्रोटीन पाया जाता है, तो यह प्रीक्लेम्पसिया का संकेत हो सकता है। यह स्थिति गर्भवती महिला और उसके शिशु के लिए गंभीर हो सकती है और तत्काल चिकित्सकीय ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

चेहरे, हाथों और पैरों में सूजन

हालांकि गर्भावस्था के दौरान थोड़ी सूजन सामान्य होती है, लेकिन अगर यह सूजन अचानक और अत्यधिक हो, तो यह उच्च रक्तचाप का लक्षण हो सकता है। विशेष रूप से, यदि चेहरे, हाथों और पैरों में अचानक सूजन दिखाई दे, तो यह चिंता का विषय हो सकता है।

गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप के कारण

गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप के कई कारण हो सकते हैं, और यह प्रत्येक महिला के लिए अलग-अलग हो सकते हैं। यहां कुछ सामान्य कारण बताए जा रहे हैं:

उम्र

जो महिलाएं 35 साल या उससे अधिक की उम्र में गर्भधारण करती हैं, उनमें उच्च रक्तचाप की संभावना अधिक होती है। उम्र के साथ रक्त वाहिकाओं की लचीलापन कम हो जाती है, जिससे रक्तचाप बढ़ने की संभावना होती है।

पहले से हाइपरटेंशन का इतिहास

अगर किसी महिला को पहले से ही हाइपरटेंशन है या उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि में यह समस्या रही है, तो गर्भावस्था के दौरान भी इसकी संभावना अधिक होती है। ऐसे मामलों में गर्भवती महिला को गर्भधारण से पहले और गर्भावस्था के दौरान विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है।

अधिक वजन या मोटापा

गर्भावस्था के दौरान मोटापा या अधिक वजन होना भी उच्च रक्तचाप के कारण हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ना सामान्य है, लेकिन अत्यधिक वजन बढ़ने से रक्तचाप पर प्रभाव पड़ सकता है।

पहली बार मां बनना

जो महिलाएं पहली बार गर्भवती होती हैं, उनमें उच्च रक्तचाप का खतरा अधिक हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि पहली बार मां बनने के दौरान शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव और तनाव के कारण रक्तचाप प्रभावित हो सकता है।

एकाधिक गर्भधारण (जुड़वा या अधिक बच्चे)

अगर गर्भ में जुड़वा या उससे अधिक बच्चे हैं, तो गर्भवती महिला का शरीर अतिरिक्त बोझ उठाता है, जिससे रक्तचाप बढ़ सकता है। यह स्थिति आमतौर पर प्रीक्लेम्पसिया के खतरे को बढ़ाती है।

उच्च रक्तचाप से गर्भावस्था पर प्रभाव

गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप के कारण मां और बच्चे दोनों पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। यदि इसे समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह गर्भावस्था में गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है।

प्रीक्लेम्पसिया का खतरा

प्रीक्लेम्पसिया गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप की एक गंभीर स्थिति है, जो न केवल मां के लिए बल्कि बच्चे के लिए भी खतरनाक हो सकती है। यह स्थिति गर्भावस्था के 20 हफ्तों के बाद विकसित होती है और उच्च रक्तचाप, प्रोटीन के अधिक स्तर, और अंगों में खराबी जैसे लक्षण दिखाती है।

शिशु का धीमा विकास

गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप के कारण शिशु का विकास प्रभावित हो सकता है। उच्च रक्तचाप के चलते मां के गर्भ में शिशु को सही मात्रा में ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते, जिससे शिशु का वजन और विकास सामान्य से कम हो सकता है। इसे Intrauterine Growth Restriction (IUGR) कहते हैं। इससे जन्म के समय शिशु का वजन कम हो सकता है और जन्म के बाद उसे विशेष देखभाल की आवश्यकता हो सकती है।

समय से पहले प्रसव

उच्च रक्तचाप के कारण गर्भावस्था में समय से पहले प्रसव का खतरा भी बढ़ जाता है। जब गर्भवती महिला का रक्तचाप अत्यधिक बढ़ जाता है, तो डॉक्टर कभी-कभी शिशु और मां दोनों की सुरक्षा के लिए समय से पहले प्रसव कराने का निर्णय लेते हैं। यह स्थिति शिशु के लिए जटिलताएं उत्पन्न कर सकती है, क्योंकि समय से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं का विकास पूरी तरह से नहीं हो पाता है।

प्लेसेंटा का सही से काम न करना

उच्च रक्तचाप के कारण प्लेसेंटा (नाल) को भी नुकसान पहुंच सकता है। प्लेसेंटा शिशु को ऑक्सीजन और पोषक तत्व प्रदान करने का काम करता है। जब प्लेसेंटा ठीक से काम नहीं करता, तो शिशु को आवश्यक पोषण और ऑक्सीजन नहीं मिल पाता, जिससे शिशु का विकास धीमा हो सकता है। कभी-कभी प्लेसेंटा गर्भाशय की दीवार से समय से पहले अलग हो जाता है, जिसे प्लेसेंटल एब्रप्शन कहते हैं। यह एक गंभीर स्थिति होती है जो गर्भवती महिला और शिशु दोनों के लिए खतरनाक हो सकती है।

सी-सेक्शन का खतरा बढ़ना

गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप के चलते महिलाओं को सी-सेक्शन (सिजेरियन प्रसव) का सामना करना पड़ सकता है। सामान्य प्रसव के दौरान उच्च रक्तचाप जटिलताएं पैदा कर सकता है, जिसके कारण डॉक्टर सिजेरियन प्रसव की सलाह देते हैं। हालांकि यह मां और शिशु दोनों की सुरक्षा के लिए आवश्यक हो सकता है, लेकिन यह एक सर्जरी है और इसके बाद लंबे समय तक देखभाल की आवश्यकता होती है।

मां के लिए स्वास्थ्य जोखिम

गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप से न केवल शिशु पर, बल्कि मां के स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इससे हृदय रोग, किडनी की समस्याएं, और फेफड़ों में तरल पदार्थ भरने जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। अगर इसका सही समय पर इलाज नहीं किया गया, तो यह मां के जीवन को भी खतरे में डाल सकता है।

गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप की रोकथाम और प्रबंधन

गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप को रोकने और प्रबंधित करने के लिए समय पर पहचान और उचित देखभाल जरूरी होती है। यहां कुछ उपाय बताए जा रहे हैं जो गर्भवती महिलाओं को इस स्थिति से बचाने और इसे नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं:

नियमित रक्तचाप की जांच

गर्भावस्था के दौरान नियमित रूप से रक्तचाप की जांच करानी चाहिए। नियमित जांच से उच्च रक्तचाप का जल्दी पता लगाया जा सकता है, और समय रहते इसका इलाज किया जा सकता है। खासकर अगर गर्भवती महिला को हाइपरटेंशन का पारिवारिक इतिहास है या उसे अन्य जोखिम कारक हैं, तो उसे बार-बार रक्तचाप की निगरानी करनी चाहिए।

स्वस्थ आहार का सेवन

गर्भावस्था में संतुलित और पोषक आहार लेना आवश्यक है। उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए भोजन में सोडियम (नमक) की मात्रा कम करनी चाहिए और अधिक फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और प्रोटीन का सेवन करना चाहिए। मैग्नीशियम, कैल्शियम, और पोटैशियम से भरपूर आहार रक्तचाप को संतुलित रखने में मदद करता है।

शारीरिक सक्रियता

गर्भावस्था के दौरान नियमित रूप से हल्का व्यायाम या चलना उच्च रक्तचाप को कम करने में सहायक हो सकता है। डॉक्टर की सलाह से योग, तैराकी, और हल्की शारीरिक गतिविधियों को अपनाया जा सकता है, जो मां और शिशु दोनों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। नियमित व्यायाम से वजन नियंत्रित रहता है और रक्तचाप संतुलित रहता है।

तनाव प्रबंधन

गर्भावस्था के दौरान तनाव उच्च रक्तचाप का एक प्रमुख कारण हो सकता है। गर्भवती महिलाओं को अपने मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य का ख्याल रखना चाहिए और तनाव को कम करने के लिए ध्यान, योग, और अन्य तनाव प्रबंधन तकनीकों का सहारा लेना चाहिए। मानसिक शांति और सकारात्मक सोच गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद कर सकती है।

सही वजन बनाए रखना

गर्भावस्था के दौरान अत्यधिक वजन बढ़ने से बचना चाहिए। डॉक्टर की सलाह के अनुसार सही वजन बनाए रखना उच्च रक्तचाप को रोकने और इसे नियंत्रित करने में मदद करता है। वजन पर नियंत्रण रखने के लिए संतुलित आहार और नियमित व्यायाम आवश्यक होते हैं।

पर्याप्त आराम

गर्भावस्था में पर्याप्त नींद और आराम लेना भी महत्वपूर्ण है। उचित नींद से शरीर का रक्तचाप नियंत्रित रहता है और तनाव भी कम होता है। गर्भवती महिलाओं को रोजाना कम से कम 7-8 घंटे की नींद लेनी चाहिए और बीच-बीच में आराम करना चाहिए।

दवाओं का सेवन

अगर गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप बढ़ जाता है, तो डॉक्टर द्वारा सुझाई गई दवाओं का सेवन करना आवश्यक होता है। गर्भावस्था के दौरान कई प्रकार की दवाएं सुरक्षित मानी जाती हैं, लेकिन किसी भी दवा का सेवन डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं करना चाहिए।

नमक का सेवन कम करें

खान-पान में नमक का अधिक सेवन उच्च रक्तचाप को बढ़ा सकता है। गर्भवती महिलाओं को अपने भोजन में नमक की मात्रा को कम करना चाहिए। इसके अलावा, प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड्स, जिनमें सोडियम की मात्रा अधिक होती है, से बचना चाहिए।

गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप के लिए चिकित्सा उपचार

उच्च रक्तचाप की स्थिति में डॉक्टर द्वारा सुझाए गए उपचार का पालन करना जरूरी होता है। आमतौर पर उच्च रक्तचाप की गंभीरता और इसके लक्षणों के आधार पर डॉक्टर इलाज की योजना बनाते हैं।

ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग

जब किसी गर्भवती महिला में उच्च रक्तचाप का निदान किया जाता है, तो डॉक्टर नियमित रूप से रक्तचाप की निगरानी कर सकते हैं। ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग से यह सुनिश्चित किया जाता है कि रक्तचाप सामान्य स्तर पर बना रहे और जटिलताओं का खतरा कम हो।

अस्पताल में भर्ती

अगर उच्च रक्तचाप बहुत अधिक बढ़ जाता है और इसे नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है, तो डॉक्टर गर्भवती महिला को अस्पताल में भर्ती करने की सलाह दे सकते हैं। वहां, उसकी स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अधिक उन्नत चिकित्सा उपचार दिए जाते हैं।

समय से पहले प्रसव का निर्णय

अगर उच्च रक्तचाप गर्भावस्था में शिशु और मां दोनों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहा है, तो डॉक्टर समय से पहले प्रसव का निर्णय ले सकते हैं। यह स्थिति आमतौर पर तब होती है जब प्रीक्लेम्पसिया या अन्य जटिलताओं का खतरा अधिक हो।

FAQs

Q.1 – गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप के लक्षण क्या हैं?
सिरदर्द, दृष्टि में समस्या, छाती में दर्द, सांस लेने में कठिनाई, और चेहरे, हाथों या पैरों में सूजन उच्च रक्तचाप के सामान्य लक्षण होते हैं।

Q.2 – गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप से शिशु पर क्या असर पड़ता है?
उच्च रक्तचाप शिशु के विकास को धीमा कर सकता है, समय से पहले प्रसव का खतरा बढ़ा सकता है, और शिशु के जन्म के समय वजन कम हो सकता है।

Q.3 – क्या गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप का इलाज संभव है?
हां, उच्च रक्तचाप को सही देखभाल और चिकित्सा से नियंत्रित किया जा सकता है। नियमित जांच, सही आहार, और डॉक्टर की सलाह से दवाओं का सेवन मदद कर सकता है।

Q.4 – गर्भवती महिला को रक्तचाप कम करने के लिए क्या करना चाहिए?
गर्भवती महिला को संतुलित आहार, हल्का व्यायाम, नमक का सेवन कम, और पर्याप्त आराम करने की सलाह दी जाती है। इसके साथ ही, तनाव प्रबंधन भी महत्वपूर्ण होता है।

Q.5 – क्या उच्च रक्तचाप के कारण सिजेरियन डिलीवरी करनी पड़ सकती है?
उच्च रक्तचाप के गंभीर मामलों में, डॉक्टर सिजेरियन डिलीवरी की सलाह दे सकते हैं ताकि मां और शिशु दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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