पित्ताशय (Gallbladder) शरीर का एक छोटा सा अंग होता है, जो यकृत (liver) के नीचे स्थित होता है। इसका मुख्य कार्य पित्त (Bile) को संग्रहित करना और भोजन को पचाने में सहायता करना होता है। लेकिन जब पित्त में उपस्थित कोलेस्ट्रॉल, पिगमेंट्स या अन्य तत्व असंतुलित हो जाते हैं, तब ये छोटे-छोटे ठोस कणों के रूप में जमने लगते हैं जिन्हें हम “पथरी” या “Gallbladder Stone” कहते हैं।
पित्ताशय में पथरी आज के समय में एक आम स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में इसकी संभावना अधिक होती है, विशेषकर गर्भावस्था के दौरान या 40 वर्ष की उम्र के बाद।
पित्ताशय में पथरी के प्रकार
पित्ताशय की पथरी मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है:
- कोलेस्ट्रॉल पथरी (Cholesterol Stones): ये सबसे सामान्य होती हैं और कोलेस्ट्रॉल की अधिकता के कारण बनती हैं।
- पिगमेंट पथरी (Pigment Stones): ये काली या गहरे रंग की होती हैं और लीवर संबंधित बीमारियों के कारण बनती हैं।
- मिक्स्ड पथरी: ये दोनों प्रकार की सामग्री से मिलकर बनी होती हैं।
पित्ताशय में पथरी के कारण
- अधिक कोलेस्ट्रॉल का सेवन
- मोटापा
- अनियमित दिनचर्या
- बहुत अधिक उपवास करना या वजन तेजी से घटाना
- अनुवांशिकता (Genetic कारण)
- डायबिटीज
- गर्भनिरोधक गोलियों का अधिक प्रयोग
- 40 वर्ष से अधिक उम्र
पित्ताशय में पथरी के लक्षण
हर किसी में पथरी के लक्षण नहीं दिखते, लेकिन जब ये पथरी पित्त नली (Bile Duct) को अवरुद्ध करती है, तब निम्नलिखित लक्षण दिख सकते हैं:
- पेट के दाहिने ऊपरी हिस्से में तीव्र दर्द (खासकर खाने के बाद)
- मतली या उल्टी
- अपच
- पेट फूलना
- बुखार (यदि संक्रमण हो)
- पीलिया (यदि पित्त नली अवरुद्ध हो)
पित्ताशय में पथरी की जाँच
डॉक्टर निम्नलिखित तरीकों से पथरी की पुष्टि कर सकते हैं:
- अल्ट्रासाउंड: सबसे सामान्य और सटीक जाँच पद्धति।
- CT स्कैन
- MRI
- HIDA Scan: पित्त के प्रवाह का अध्ययन करने हेतु।
पित्ताशय में पथरी का उपचार
1. दवाइयों से उपचार:
कुछ मामलों में, विशेषकर छोटी पथरी के लिए, दवाइयों द्वारा इलाज किया जा सकता है जो पथरी को घोलने में मदद करती हैं। जैसे – Ursodeoxycholic acid।
2. सर्जरी:
यदि पथरी से बार-बार दर्द या संक्रमण हो रहा हो तो Cholecystectomy नामक सर्जरी द्वारा पित्ताशय को हटा दिया जाता है।
सर्जरी के प्रकार:
- लैप्रोस्कोपिक सर्जरी (छोटा चीरा, जल्दी ठीक होना)
- ओपन सर्जरी (विशेष परिस्थितियों में)
3. एंडोस्कोपिक प्रक्रिया (ERCP):
यदि पथरी पित्त नली में फंस गई हो तो यह प्रक्रिया की जाती है।
पथरी होने पर क्या खाएं और क्या नहीं?
क्या खाएं:
- हरी पत्तेदार सब्जियाँ
- ताजे फल
- ओट्स, होल ग्रेन
- लो फैट दूध या दही
- पर्याप्त पानी
क्या न खाएं:
- तली-भुनी चीजें
- जंक फूड
- रेड मीट
- उच्च कोलेस्ट्रॉल युक्त भोजन
- शक्कर वाले खाद्य पदार्थ
पित्ताशय में पथरी से बचाव के उपाय
- संतुलित आहार लें और अधिक फैट से परहेज़ करें।
- रोजाना व्यायाम करें।
- मोटापे से बचें।
- भोजन को छोड़ने की आदत न डालें।
- फाइबर युक्त आहार लें।
घरेलू उपाय (प्रारंभिक अवस्था में)
ध्यान दें: ये उपाय डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं अपनाने चाहिए।
- सेब का सिरका: एक चम्मच सेब का सिरका और एक गिलास गर्म पानी – पित्त में संतुलन बनाए रखने में सहायक।
- नींबू का रस: इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो पित्ताशय के लिए लाभकारी हैं।
- हल्दी और शहद: सूजन को कम करने में सहायक।
कब डॉक्टर से मिलें?
- यदि दर्द लगातार बना रहे
- बुखार और ठंड लग रही हो
- उल्टी में खून आ रहा हो
त्वचा या आँखों में पीलापन आ जाए