डायबिटीज, जिसे मधुमेह भी कहा जाता है, एक जानी-मानी बीमारी है, लेकिन इससे जुड़े मिथकों और गलत धारणाओं की भरमार है। इस लेख में, हम डायबिटीज से जुड़े सबसे आम मिथकों को स्पष्ट करेंगे और विशेषज्ञों द्वारा दी गई सही जानकारी प्रस्तुत करेंगे। सही जानकारी से आप न केवल भ्रम से बच सकते हैं, बल्कि अपने स्वास्थ्य को बेहतर तरीके से संभाल भी सकते हैं।
डायबिटीज के बारे में आम मिथक
यह धारणा पूरी तरह से गलत है। डायबिटीज के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि आनुवंशिकता, मोटापा, जीवनशैली, और शारीरिक गतिविधि की कमी। हालांकि अधिक चीनी का सेवन वजन बढ़ाने में योगदान कर सकता है, लेकिन यह डायबिटीज का एकमात्र कारण नहीं है।
डायबिटीज के मरीज मीठा बिल्कुल नहीं खा सकते
यह धारणा भी सही नहीं है। डायबिटीज के मरीज संतुलित मात्रा में मीठा खा सकते हैं, बशर्ते कि वे अपनी कुल कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट सेवन पर ध्यान दें। इसके लिए एक डॉक्टर या डायटिशियन की सलाह लेनी चाहिए।
इंसुलिन की आदत लग जाती है
कई लोग सोचते हैं कि इंसुलिन लेने से यह आदत बन जाती है। लेकिन यह सच नहीं है। इंसुलिन एक जरूरी दवा है जो ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करती है। यह मरीज की जरूरत के अनुसार दी जाती है और शरीर के लिए सुरक्षित है।
डायबिटीज सिर्फ मोटे लोगों को होती है
यह मिथक भी सच नहीं है। हालांकि मोटापा टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को बढ़ा सकता है, लेकिन पतले लोग भी डायबिटीज का शिकार हो सकते हैं। टाइप 1 डायबिटीज तो वजन से बिल्कुल भी जुड़ा नहीं है और यह अक्सर बच्चों और किशोरों में देखा जाता है।
डायबिटीज और जीवनशैली से जुड़े मिथक
व्यायाम करने से डायबिटीज पूरी तरह ठीक हो जाती है
व्यायाम करना ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करता है और टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को कम करता है, लेकिन यह डायबिटीज का इलाज नहीं है। डायबिटीज एक क्रॉनिक कंडीशन है जिसे नियंत्रित किया जा सकता है, पर पूरी तरह ठीक करना मुश्किल है।
डायबिटीज के मरीज फल नहीं खा सकते
यह एक और गलत धारणा है। डायबिटीज के मरीज फल खा सकते हैं, लेकिन उन्हें ऐसे फल चुनने चाहिए जिनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) कम हो, जैसे कि सेब, संतरा, और जामुन। साथ ही, फलों का सेवन संतुलित मात्रा में करना चाहिए।
हर्बल दवाएं डायबिटीज को पूरी तरह ठीक कर सकती हैं
कई लोग हर्बल या आयुर्वेदिक दवाओं पर भरोसा करते हैं, लेकिन यह पूरी तरह से गलत है कि ये डायबिटीज को जड़ से खत्म कर सकती हैं। हर्बल सप्लीमेंट्स केवल सहायक हो सकते हैं, लेकिन इन्हें मुख्य इलाज के रूप में नहीं लिया जा सकता।
डायबिटीज और खानपान से जुड़े मिथक
कार्बोहाइड्रेट पूरी तरह बंद कर देना चाहिए
डायबिटीज के मरीजों को लगता है कि कार्बोहाइड्रेट का सेवन बंद कर देना चाहिए। हालांकि, कार्बोहाइड्रेट शरीर के लिए ऊर्जा का मुख्य स्रोत है। संतुलित मात्रा में कार्बोहाइड्रेट खाना आवश्यक है। जटिल कार्बोहाइड्रेट जैसे कि ओट्स और साबुत अनाज बेहतर विकल्प हैं।
डायबिटीज का मतलब हमेशा भूखा रहना है
डायबिटीज का मतलब भूखे रहना नहीं है। बल्कि, यह सुनिश्चित करना है कि आप संतुलित आहार लें और समय पर खाएं। नियमित अंतराल पर भोजन करना और छोटे-छोटे हिस्सों में भोजन करना मददगार हो सकता है।
डायबिटीज सिर्फ बुजुर्गों को होती है
यह धारणा अब पुरानी हो चुकी है। आधुनिक जीवनशैली और खानपान के कारण बच्चों और युवाओं में भी डायबिटीज के मामले बढ़ रहे हैं। टाइप 1 डायबिटीज बच्चों और किशोरों में अधिक पाई जाती है, जबकि टाइप 2 डायबिटीज अब युवाओं में भी आम हो रही है।
डायबिटीज से जुड़े अन्य मिथक
अगर आपको डायबिटीज है, तो जीवन छोटा हो जाता है
सही उपचार और जीवनशैली में सुधार के साथ डायबिटीज के मरीज लंबे और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं। नियमित जांच, दवाओं का पालन और संतुलित आहार इसके लिए महत्वपूर्ण हैं।
डायबिटीज के मरीजों को रोजाना डॉक्टर के पास जाना पड़ता है
हालांकि नियमित जांच और डॉक्टर की सलाह जरूरी है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आपको हर दिन डॉक्टर के पास जाना होगा। तकनीकी उपकरण जैसे कि ग्लूकोमीटर, ब्लड शुगर की निगरानी को आसान बनाते हैं।
डायबिटीज के कारण हमेशा अंग काटने की जरूरत होती है
यह धारणा पूरी तरह से गलत है। डायबिटीज से जुड़ी जटिलताओं को समय पर पहचान कर और सही तरीके से इलाज कर इस जोखिम को कम किया जा सकता है। सही ब्लड शुगर नियंत्रण और देखभाल से जटिलताएं टाली जा सकती हैं।
डायबिटीज के बारे में सटीक जानकारी का महत्व
डायबिटीज से जुड़ी गलत धारणाएं न केवल मरीजों के जीवन को प्रभावित करती हैं, बल्कि उनकी मानसिक स्थिति पर भी प्रभाव डालती हैं। सही जानकारी और विशेषज्ञों की सलाह से न केवल आप डायबिटीज को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं, बल्कि इससे जुड़ी जटिलताओं से बच भी सकते हैं।
FAQs
Q.1 – डायबिटीज और मधुमेह में क्या अंतर है?
डायबिटीज और मधुमेह एक ही चीज़ हैं। डायबिटीज का अंग्रेजी में नाम है और मधुमेह इसका हिंदी रूप है।
Q.2 – क्या टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज समान हैं?
नहीं, टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज अलग हैं। टाइप 1 डायबिटीज आमतौर पर बचपन में होती है और इंसुलिन निर्भर होती है। टाइप 2 डायबिटीज अधिकतर जीवनशैली से जुड़ी होती है।
Q.3 – क्या डायबिटीज के लिए दवाएं हमेशा लेनी पड़ती हैं?
सभी मामलों में ऐसा नहीं है। टाइप 2 डायबिटीज को शुरुआत में जीवनशैली और आहार में सुधार के जरिए नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि, कुछ मामलों में दवाएं या इंसुलिन जरूरी हो सकती हैं।
Q.4 – क्या डायबिटीज के मरीज एल्कोहल पी सकते हैं?
डायबिटीज के मरीज सीमित मात्रा में और डॉक्टर की सलाह पर एल्कोहल ले सकते हैं। एल्कोहल ब्लड शुगर को प्रभावित कर सकता है, इसलिए सतर्क रहना जरूरी है।
Q.5 – क्या डायबिटीज अनुवांशिक है?
हां, डायबिटीज अनुवांशिक हो सकती है। अगर परिवार में किसी को डायबिटीज है, तो इसका जोखिम बढ़ सकता है।