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फोकल सेगमेंटल ग्लोमेरुलोस्क्लेरोसिस (FSGS): लक्षण और कारण

Hindi
March 4, 2025
• 8 min read
Himanshu Lal
Written by
Himanshu Lal
Varshitha Sotala
Reviewed by:
Varshitha Sotala
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FSGS किडनी रोग, सूजन

Table of Contents

  • फोकल सेगमेंटल ग्लोमेरुलोस्क्लेरोसिस (FSGS): शुरुआती लक्षण क्या हैं?
  • FSGS के मुख्य कारण और जोखिम कारक समझें
  • ग्लोमेरुलोस्क्लेरोसिस: निदान और उपचार के तरीके
  • फोकल सेगमेंटल ग्लोमेरुलोस्क्लेरोसिस (FSGS) से बचाव के उपाय
  • FSGS: जीवनशैली में बदलाव और बेहतर स्वास्थ्य
  • Frequently Asked Questions
  • References

क्या आप या आपके किसी परिचित को गुर्दे की बीमारी से जूझना पड़ रहा है? क्या आप फोकल सेगमेंटल ग्लोमेरुलोस्क्लेरोसिस (FSGS): लक्षण और कारण के बारे में अधिक जानना चाहते हैं? यह गंभीर किडनी की बीमारी, जिसके लक्षण अक्सर धीरे-धीरे दिखाई देते हैं, बहुतों के लिए एक चिंता का विषय बन सकती है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम FSGS के प्रमुख लक्षणों और इसके संभावित कारणों पर विस्तार से चर्चा करेंगे, ताकि आप इस बीमारी को बेहतर ढंग से समझ सकें और समय पर उपचार प्राप्त कर सकें। आइये, इस महत्वपूर्ण विषय को एक-एक करके समझते हैं।

फोकल सेगमेंटल ग्लोमेरुलोस्क्लेरोसिस (FSGS): शुरुआती लक्षण क्या हैं?

फोकल सेगमेंटल ग्लोमेरुलोस्क्लेरोसिस (FSGS) एक गंभीर गुर्दे की बीमारी है जो किडनी के फ़िल्टरिंग यूनिट्स (ग्लोमेरुली) को प्रभावित करती है। हालांकि इसके शुरुआती लक्षण अक्सर धुंधले और अन्य स्थितियों के समान होते हैं, इसलिए जल्दी पहचान महत्वपूर्ण है। भारत में, जहां लगभग 2.5 मिलियन महिलाएं प्रति वर्ष गर्भावस्था संबंधी मधुमेह से ग्रस्त हैं, ऐसी स्थितियां गुर्दे के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं और FSGS के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। इसलिए, शुरुआती लक्षणों को समझना और समय पर चिकित्सा सहायता लेना अत्यंत आवश्यक है।

FSGS के शुरुआती संकेत:

शुरुआती चरण में, FSGS के लक्षण अक्सर सूक्ष्म होते हैं और अनदेखा हो सकते हैं। इनमें शामिल हो सकते हैं: पेशाब में फोम या झाग, जो प्रोटीन के उच्च स्तर का संकेत हो सकता है; सूजन, खासकर पैरों और चेहरे में; थकान और कमजोरी; भूख में कमी और वजन कम होना; उच्च रक्तचाप। ये लक्षण अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के समान भी हो सकते हैं, जैसे कि एक्यूट गैस्ट्रोएंटेराइटिस के लक्षण और उपचार – जानें पूरी जानकारी हिंदी में में वर्णित कुछ लक्षणों के समान हो सकते हैं। इसलिए अगर आपको ये लक्षण दिखाई दें तो तुरंत चिकित्सा परामर्श लेना महत्वपूर्ण है। गर्भावस्था संबंधी मधुमेह जैसी स्थितियों से पीड़ित महिलाओं को विशेष रूप से सतर्क रहने की आवश्यकता है, क्योंकि यह FSGS के विकास के जोखिम को बढ़ा सकता है। अगर आपको गैस्ट्रोएंटेराइटिस के लक्षण – पेट दर्द, उल्टी, दस्त और अन्य सामान्य संकेत जैसे लक्षण दिखाई दे तो भी डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

क्या करें?

यदि आपको उपरोक्त लक्षणों में से कोई भी दिखाई दे, तो अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। प्रारंभिक निदान और उपचार FSGS के प्रगति को रोकने और गुर्दे के कार्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है। भारत और उष्णकटिबंधीय देशों में, गुर्दे की बीमारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और समय पर चिकित्सा सहायता प्राप्त करना बेहद जरूरी है। अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें और नियमित स्वास्थ्य जांच करवाते रहें।

FSGS के मुख्य कारण और जोखिम कारक समझें

क्या है फोकल सेगमेंटल ग्लोमेरुलोस्क्लेरोसिस (FSGS)?

फोकल सेगमेंटल ग्लोमेरुलोस्क्लेरोसिस (FSGS) एक गंभीर किडनी रोग है जिसमें गुर्दे के फ़िल्टर (ग्लोमेरुली) के कुछ हिस्से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं। यह क्षति गुर्दे की कार्यक्षमता को कम करती है और अंततः किडनी फेलियर तक ले जा सकती है। भारत जैसे देशों में, जहां मधुमेह का प्रसार तेज़ी से बढ़ रहा है, FSGS का खतरा भी बढ़ता जा रहा है।

FSGS के प्रमुख कारण और जोखिम कारक:

FSGS के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कई अभी तक पूरी तरह से समझ में नहीं आये हैं। कुछ प्रमुख कारणों में शामिल हैं:

* मधुमेह: अत्यधिक चीनी का सेवन मधुमेह के खतरे को बढ़ाता है, जैसा कि शोध से पता चलता है कि भारत में प्रति व्यक्ति 20 किलो प्रति वर्ष चीनी की खपत है, जिससे मधुमेह का खतरा 18% तक बढ़ जाता है। मधुमेह, FSGS का एक प्रमुख जोखिम कारक है, क्योंकि यह किडनी को नुकसान पहुँचाता है। सर्केडियन मिसएलाइनमेंट और ग्लूकोज नियंत्रण पर प्रभाव: कारण और समाधान पर अधिक जानकारी पढ़ें।
* उच्च रक्तचाप: नियंत्रित न होने वाला उच्च रक्तचाप किडनी पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिससे FSGS होने का खतरा बढ़ जाता है। हाई BP और हाइपरटेंशन: छिपे हुए जोखिमों को समझें और इसे कैसे नियंत्रित करें, इसके बारे में यहाँ पढ़ें।
* वंशानुगत कारण: कुछ मामलों में, FSGS आनुवंशिक होता है, अर्थात यह परिवारों में चल सकता है।
* दवाएँ: कुछ दवाएँ भी FSGS का कारण बन सकती हैं।
* संक्रमण: कुछ संक्रमण भी किडनी को नुकसान पहुँचाकर FSGS को जन्म दे सकते हैं।
* अन्य कारण: इसके अलावा, मोटापा, गर्भावस्था, और कुछ ऑटोइम्यून रोग भी FSGS के जोखिम कारक हो सकते हैं।

अपनी किडनी का ध्यान रखें:

अपनी जीवनशैली में सुधार करके आप FSGS के खतरे को कम कर सकते हैं। संतुलित आहार लें, जिसमें चीनी की मात्रा कम हो, नियमित व्यायाम करें, और उच्च रक्तचाप और मधुमेह को नियंत्रण में रखें। किसी भी लक्षण को नज़रअंदाज़ न करें और समय पर चिकित्सा सलाह लें। समय पर जाँच और उपचार से आप अपनी किडनी को स्वस्थ रख सकते हैं।

ग्लोमेरुलोस्क्लेरोसिस: निदान और उपचार के तरीके

ग्लोमेरुलोस्क्लेरोसिस, विशेष रूप से फोकल सेगमेंटल ग्लोमेरुलोस्क्लेरोसिस (FSGS), किडनी की एक गंभीर बीमारी है जिसके निदान और उपचार में समय लग सकता है। प्रारंभिक निदान और उचित उपचार बेहद महत्वपूर्ण हैं। इसके लक्षण अक्सर अन्य किडनी रोगों के समान होते हैं, जिससे सही निदान में चुनौती आ सकती है।

निदान

निदान के लिए, डॉक्टर रोगी के चिकित्सा इतिहास, शारीरिक परीक्षण और कई जांचों का उपयोग करते हैं। इनमें रक्त परीक्षण (जैसे, क्रिएटिनिन और यूरिया के स्तर की जांच), मूत्र परीक्षण (प्रोटीन और लाल रक्त कोशिकाओं की जांच के लिए), और किडनी बायोप्सी शामिल हैं। किडनी बायोप्सी FSGS की पुष्टि करने और इसकी गंभीरता का आकलन करने का सबसे विश्वसनीय तरीका है। भारत जैसे देशों में, किडनी रोगों की जांच और उपचार की पहुँच भौगोलिक स्थिति और आर्थिक स्थिति पर निर्भर करती है, इसलिए प्रारंभिक जांच और निदान के लिए जागरूकता बढ़ाना महत्वपूर्ण है।

उपचार

उपचार FSGS के कारण और गंभीरता पर निर्भर करता है। कुछ मामलों में, रोग की प्रगति को धीमा करने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है। ये दवाएँ रक्तचाप को नियंत्रित करने, प्रोटीन के नुकसान को कम करने और किडनी के कार्य को बनाए रखने में मदद करती हैं। गंभीर मामलों में, डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण आवश्यक हो सकता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मधुमेह पोलीन्यूरोपैथी, जिससे लगभग 15% मधुमेह रोगियों को अपने जीवनकाल में पैरों में अल्सर का अनुभव होता है और उच्च स्तर पर विच्छेदन का खतरा होता है, किडनी रोगों के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसलिए, मधुमेह और अन्य जोखिम कारकों का प्रबंधन FSGS की रोकथाम और प्रबंधन में महत्वपूर्ण है। उपचार योजना व्यक्तिगत आवश्यकताओं के अनुसार डॉक्टर द्वारा तैयार की जाती है।

क्षेत्रीय अंतर्दृष्टि

भारत और उष्णकटिबंधीय देशों में, किडनी रोगों की जांच और उपचार तक पहुँच एक चुनौती बनी हुई है। इसलिए, जागरकता अभियान और किडनी स्वास्थ्य सेवाओं तक बेहतर पहुँच सुनिश्चित करना बेहद महत्वपूर्ण है। किसी भी असामान्य लक्षण पर अपने डॉक्टर से तुरंत परामर्श करें।

फोकल सेगमेंटल ग्लोमेरुलोस्क्लेरोसिस (FSGS) से बचाव के उपाय

फोकल सेगमेंटल ग्लोमेरुलोस्क्लेरोसिस (FSGS) एक गंभीर गुर्दे की बीमारी है जिसके कारण गुर्दे धीरे-धीरे काम करना बंद कर सकते हैं। हालांकि FSGS का कोई निश्चित बचाव नहीं है, लेकिन कुछ जीवनशैली में बदलाव और सावधानियां इसके जोखिम को कम करने में मदद कर सकती हैं। यह विशेष रूप से भारत जैसे देशों में महत्वपूर्ण है जहाँ शहरी क्षेत्रों में युवाओं में मधुमेह के बढ़ते मामलों की दर चिंता का विषय है, जो सालाना 4% की दर से बढ़ रही है। मधुमेह, FSGS का एक प्रमुख जोखिम कारक है, इसलिए इसके प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है। रात के समय होने वाले हाइपोग्लाइसीमिया को भी संभालना ज़रूरी है, क्योंकि यह रात के समय हाइपोग्लाइसीमिया का प्रबंधन: आसान उपाय और टिप्स जैसी समस्याओं को जन्म दे सकता है जो शरीर को प्रभावित करती हैं।

स्वस्थ जीवनशैली अपनाएँ

एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर आप FSGS के जोखिम को कम कर सकते हैं। इसमें संतुलित आहार लेना, नियमित व्यायाम करना, और आदर्श वजन बनाए रखना शामिल है। उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल, दोनों FSGS के लिए जोखिम कारक हैं, इसलिए इनका प्रबंधन करना भी महत्वपूर्ण है। नियमित स्वास्थ्य जांच करवाना और अपने डॉक्टर के साथ नियमित परामर्श करना भी आवश्यक है। धूम्रपान से भी गुर्दे को नुकसान पहुँचता है, इसलिए धूम्रपान से दूर रहना चाहिए।

जोखिम कारकों का प्रबंधन

अगर आपको पहले से ही मधुमेह, उच्च रक्तचाप या अन्य गुर्दे की समस्याएँ हैं, तो इनका प्रभावी ढंग से प्रबंधन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। अपने डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाइयाँ नियमित रूप से लें और उनकी सलाह का पालन करें। समय पर उपचार और निदान FSGS के प्रगति को रोकने में मदद कर सकता है। भारत और अन्य उष्णकटिबंधीय देशों में, कुछ संक्रामक रोग भी गुर्दे की बीमारियों से जुड़े हो सकते हैं, इसलिए इनसे बचाव के लिए आवश्यक सावधानियां बरतना भी जरूरी है। हालांकि यह एक अलग विषय है, लेकिन हृदय रोगों जैसे एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम: क्या है और कैसे निपटा जाता है? से भी सावधानी बरतना जरूरी है क्यूंकि यह भी कई बीमारियों का कारण बन सकता है।

डॉक्टर से सलाह लें

यदि आपको FSGS के कोई लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करें। प्रारंभिक निदान और उपचार लंबे समय तक स्वस्थ रहने में मदद कर सकता है। अपनी सेहत के प्रति जागरूक रहें और किसी भी चिंता को नजरअंदाज न करें।

FSGS: जीवनशैली में बदलाव और बेहतर स्वास्थ्य

फ़ोकल सेगमेंटल ग्लोमेरुलोस्क्लेरोसिस (FSGS) एक गंभीर किडनी रोग है जिसके कई कारण हो सकते हैं। इस बीमारी से बचाव और प्रबंधन में जीवनशैली में बदलाव अहम भूमिका निभाते हैं। एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर आप अपनी किडनी के स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं और FSGS के प्रभाव को कम कर सकते हैं।

पोषण और आहार:

संतुलित आहार लेना बेहद ज़रूरी है। नमक का सेवन कम करें क्योंकि यह रक्तचाप को बढ़ा सकता है, जो FSGS के लिए हानिकारक है। फलों, सब्जियों और साबुत अनाजों पर ज़्यादा ध्यान दें। शोध बताते हैं कि चीनी युक्त पेय पदार्थों का अधिक सेवन मधुमेह के जोखिम को 26% तक बढ़ा देता है, और मधुमेह किडनी की बीमारियों का एक प्रमुख कारक है। इसलिए, मीठे पेय पदार्थों से परहेज़ करना महत्वपूर्ण है। प्रोटीन का सेवन डॉक्टर की सलाह अनुसार ही करें। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि रक्त शर्करा स्तर और नींद की गुणवत्ता में सुधार के उपाय करने से भी कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सकता है, जिनमें मधुमेह भी शामिल है जो किडनी के लिए हानिकारक है।

शारीरिक गतिविधि:

नियमित व्यायाम रक्तचाप को नियंत्रित रखने और वज़न को संतुलित करने में मदद करता है, जो FSGS के प्रबंधन में सहायक है। अपनी क्षमता के अनुसार, रोज़ाना कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें। भारतीय और उष्णकटिबंधीय देशों में, योग और प्राणायाम जैसे प्राचीन अभ्यास भी फायदेमंद हो सकते हैं।

धूम्रपान से परहेज़:

धूम्रपान किडनी के लिए बेहद हानिकारक है। यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो इसे तुरंत छोड़ दें। यह कदम आपके समग्र स्वास्थ्य और विशेष रूप से आपकी किडनी के स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

नियमित चेकअप:

FSGS के प्रबंधन के लिए नियमित चेकअप बेहद ज़रूरी हैं। अपने डॉक्टर से नियमित रूप से मिलते रहें और उनकी सलाह का पालन करें। समय पर जाँच करवाने से बीमारी के लक्षणों का जल्दी पता चल सकता है और समय रहते उपचार शुरू किया जा सकता है। यह आपकी किडनी की सुरक्षा और बेहतर स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के साथ-साथ, रक्त शर्करा स्तर और नींद की गुणवत्ता में सुधार के उपाय करना भी FSGS जैसे किडनी रोगों के प्रबंधन में मददगार साबित हो सकता है।

Frequently Asked Questions

Q1. FSGS क्या है और इसके लक्षण क्या हैं?

FSGS एक गंभीर गुर्दे की बीमारी है जो गुर्दे की छन्नी इकाइयों (ग्लोमेरुली) को प्रभावित करती है। शुरुआती लक्षण अक्सर सूक्ष्म होते हैं और अन्य स्थितियों, जैसे गर्भावस्था-प्रेरित मधुमेह से मिलते-जुलते होते हैं। इनमें झागदार मूत्र (उच्च प्रोटीन स्तर का संकेत), सूजन (विशेष रूप से पैरों और चेहरे में), थकान, कमजोरी, भूख में कमी, वजन कम होना और उच्च रक्तचाप शामिल हो सकते हैं।

Q2. FSGS के क्या कारण हैं?

FSGS के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें मधुमेह, उच्च रक्तचाप, आनुवंशिक कारक, दवाएँ, संक्रमण, मोटापा और गर्भावस्था शामिल हैं।

Q3. FSGS का निदान कैसे किया जाता है?

निदान में चिकित्सा इतिहास की समीक्षा, शारीरिक परीक्षा, रक्त और मूत्र परीक्षण और गुर्दे की बायोप्सी शामिल है।

Q4. FSGS का इलाज कैसे किया जाता है?

इलाज कारण और गंभीरता पर निर्भर करता है, जिसमें रक्तचाप और प्रोटीन हानि को नियंत्रित करने के लिए दवा से लेकर गंभीर मामलों में डायलिसिस या गुर्दे प्रत्यारोपण तक शामिल है।

Q5. FSGS को रोकने के लिए क्या किया जा सकता है?

निवारक उपायों में स्वस्थ जीवनशैली (संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, आदर्श वजन बनाए रखना), मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसे जोखिम कारकों का प्रबंधन, धूम्रपान से बचना और नियमित स्वास्थ्य जांच शामिल हैं।

References

  • AI-Driven Diabetic Retinopathy Screening: Multicentric Validation of AIDRSS in India: https://arxiv.org/pdf/2501.05826
  • Diabetic Retinopathy Classification from Retinal Images using Machine Learning Approaches: https://arxiv.org/pdf/2412.02265
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