आज के समय में स्लिम और फिट दिखने की चाह में लोग बार-बार डाइटिंग करने लगे हैं। कभी लो-कार्ब डाइट, कभी कीटो, तो कभी सिर्फ जूस या पानी पर रहना — ये सब अब आम हो गया है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बार-बार डाइटिंग करने से आपके शरीर के अंदर क्या असर पड़ता है? खासतौर पर थायरॉइड ग्रंथि पर इसका क्या प्रभाव होता है?
कई रिसर्च और विशेषज्ञों का मानना है कि बार-बार डाइटिंग करने से थायरॉइड की समस्या, खासकर हाइपोथायरॉइडिज्म, का खतरा बढ़ सकता है। इस लेख में हम आसान और स्पष्ट हिंदी में समझेंगे कि ऐसा क्यों होता है, इसके लक्षण क्या हैं और इससे बचने के सही तरीके क्या हैं।
थायरॉइड क्या है?
थायरॉइड एक छोटी सी तितली के आकार की ग्रंथि होती है, जो हमारे गले के सामने स्थित होती है। यह ग्रंथि थायरॉइड हार्मोन (T3 और T4) बनाती है, जो शरीर के मेटाबॉलिज्म यानी ऊर्जा खर्च करने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।
सरल शब्दों में:
- यह तय करता है कि शरीर कितनी तेजी से कैलोरी जलाएगा
- वजन बढ़ेगा या घटेगा
- शरीर का तापमान कैसा रहेगा
- दिल की धड़कन और पाचन प्रक्रिया कैसी होगी
जब थायरॉइड सही से काम नहीं करता, तो पूरा शरीर प्रभावित होता है।
डाइटिंग क्या होती है?
डाइटिंग का मतलब केवल हेल्दी खाना नहीं होता। आजकल अधिकतर लोग डाइटिंग के नाम पर:
- बहुत कम कैलोरी लेना
- लंबे समय तक भूखे रहना
- जरूरी पोषक तत्वों को पूरी तरह छोड़ देना
- बार-बार वजन घटाने और बढ़ाने का चक्र अपनाना
यही आदतें आगे चलकर हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकती हैं।
बार-बार डाइटिंग करने से थायरॉइड क्यों होता है?
1. बहुत कम कैलोरी लेने से मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है
जब आप बार-बार बहुत कम खाना खाते हैं, तो शरीर इसे “भूख की स्थिति” मान लेता है। ऐसे में शरीर खुद को बचाने के लिए मेटाबॉलिज्म को धीमा कर देता है।
धीमा मेटाबॉलिज्म सीधे तौर पर थायरॉइड हार्मोन के उत्पादन को कम कर देता है, जिससे हाइपोथायरॉइडिज्म का खतरा बढ़ता है।
2. हार्मोनल असंतुलन
डाइटिंग सिर्फ वजन ही नहीं घटाती, बल्कि हार्मोन पर भी असर डालती है। बार-बार डाइट बदलने से:
- थायरॉइड हार्मोन
- इंसुलिन
- कोर्टिसोल (तनाव हार्मोन)
इन सभी का संतुलन बिगड़ सकता है। लंबे समय तक ऐसा रहने से थायरॉइड ग्रंथि कमजोर हो जाती है।
3. जरूरी पोषक तत्वों की कमी
अत्यधिक डाइटिंग में अक्सर ये तत्व कम हो जाते हैं:
- आयोडीन
- आयरन
- सेलेनियम
- जिंक
- विटामिन D और B12
ये सभी तत्व थायरॉइड के सही काम के लिए जरूरी हैं। इनकी कमी से थायरॉइड हार्मोन बनना प्रभावित होता है।
4. बार-बार वजन घटाने और बढ़ाने का चक्र
इसे वेट साइक्लिंग कहा जाता है।
बार-बार वजन कम करना और फिर बढ़ जाना:
- थायरॉइड ग्रंथि पर अतिरिक्त दबाव डालता है
- हार्मोन को भ्रमित करता है
- शरीर को स्थिर मेटाबॉलिज्म बनाने से रोकता है
यह आदत लंबे समय में थायरॉइड समस्या को जन्म दे सकती है।
5. ज्यादा तनाव और मानसिक दबाव
कठोर डाइटिंग शरीर और दिमाग दोनों के लिए तनावपूर्ण होती है। तनाव बढ़ने से कोर्टिसोल हार्मोन बढ़ता है, जो थायरॉइड हार्मोन के काम में रुकावट डालता है।
डाइटिंग से होने वाले थायरॉइड के लक्षण
अगर बार-बार डाइटिंग के बाद आपको ये लक्षण महसूस हों, तो सावधान हो जाएं:
- बिना ज्यादा खाए भी वजन बढ़ना
- बहुत ज्यादा थकान
- ठंड ज्यादा लगना
- बालों का झड़ना
- त्वचा का रूखा होना
- कब्ज की समस्या
- मूड स्विंग्स या डिप्रेशन
- महिलाओं में पीरियड्स का अनियमित होना
क्या हर डाइटिंग करने वाले को थायरॉइड हो जाता है?
नहीं। हर डाइटिंग करने वाले व्यक्ति को थायरॉइड नहीं होता। समस्या तब होती है जब:
- डाइट बहुत सख्त हो
- लंबे समय तक पोषण की कमी रहे
- बार-बार वजन घटाने का दबाव हो
- बिना डॉक्टर या न्यूट्रिशनिस्ट की सलाह डाइट की जाए
स्वस्थ तरीके से वजन घटाना क्यों जरूरी है?
स्वस्थ वजन घटाने से:
- थायरॉइड सुरक्षित रहता है
- मेटाबॉलिज्म संतुलित रहता है
- शरीर को सभी जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं
- वजन लंबे समय तक नियंत्रित रहता है
थायरॉइड से बचने के लिए सही डाइटिंग कैसे करें?
1. संतुलित आहार लें
हर दिन अपने भोजन में शामिल करें:
- साबुत अनाज
- दालें और प्रोटीन
- हरी सब्जियां
- फल
- स्वस्थ वसा (घी, नट्स)
2. बहुत कम कैलोरी वाली डाइट से बचें
1200 कैलोरी से कम डाइट लंबे समय तक न अपनाएं, जब तक डॉक्टर सलाह न दें।
3. बार-बार डाइट बदलने से बचें
एक स्थायी और आसान जीवनशैली अपनाएं, न कि कुछ हफ्तों की डाइट।
4. नियमित व्यायाम करें
- योग
- तेज चलना
- हल्की स्ट्रेंथ ट्रेनिंग
यह थायरॉइड और मेटाबॉलिज्म दोनों के लिए फायदेमंद है।
5. तनाव कम करें
ध्यान, प्राणायाम और पर्याप्त नींद थायरॉइड को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।
डाइटिंग के दौरान थायरॉइड की जांच कब कराएं?
अगर आप:
- लंबे समय से डाइटिंग कर रहे हैं
- वजन रुक गया है या बढ़ रहा है
- ऊपर बताए गए लक्षण दिख रहे हैं
तो TSH, T3 और T4 टेस्ट जरूर कराएं।
बार-बार डाइटिंग करने से थायरॉइड क्यों होता है — इसका मुख्य कारण है पोषण की कमी, हार्मोनल असंतुलन और मेटाबॉलिज्म पर पड़ने वाला नकारात्मक प्रभाव। वजन घटाने की जल्दबाजी में अगर हम शरीर की जरूरतों को नजरअंदाज करते हैं, तो इसका खामियाजा लंबे समय तक भुगतना पड़ सकता है।
इसलिए जरूरी है कि:
- वजन घटाने को जुनून न बनाएं
- संतुलित और स्थायी जीवनशैली अपनाएं
- थायरॉइड के लक्षणों को नजरअंदाज न करें
- समय पर जांच और सही इलाज करवाएं
स्वस्थ शरीर, संतुलित आहार और जागरूकता — यही थायरॉइड से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है।
FAQs
1. क्या बार-बार डाइटिंग करने से थायरॉइड हमेशा के लिए हो जाता है?
नहीं, अगर समय रहते सही डाइट और इलाज शुरू कर दिया जाए, तो स्थिति सुधर सकती है।
2. क्या फास्टिंग से थायरॉइड होता है?
लंबे समय तक गलत तरीके से फास्टिंग करने से थायरॉइड असंतुलन हो सकता है।
3. क्या महिलाएं ज्यादा प्रभावित होती हैं?
हां, हार्मोनल बदलाव के कारण महिलाओं में थायरॉइड का खतरा ज्यादा होता है।
4. क्या थायरॉइड होने पर वजन घटाना मुश्किल हो जाता है?
हां, थायरॉइड मेटाबॉलिज्म धीमा कर देता है, जिससे वजन घटाना कठिन हो जाता है।
5. क्या डाइटिंग छोड़ने से थायरॉइड ठीक हो सकता है?
सिर्फ डाइटिंग छोड़ना काफी नहीं, संतुलित जीवनशैली और डॉक्टर की सलाह जरूरी है।