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मधुमेह और आंख की समस्याएं

Hindi
6 min read
Naimish Mishra
Written by
Naimish Mishra
Posted on
December 31, 2025
diabetic-eye-problems-in-hindi

मधुमेह एक ऐसा रोग है जो केवल रक्त शर्करा के स्तर को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि शरीर के विभिन्न अंगों को भी प्रभावित कर सकता है, जिसमें आंखें विशेष रूप से संवेदनशील होती हैं। मधुमेह के मरीजों में आंखों की समस्याएं आम होती हैं और यदि इन्हें समय रहते नियंत्रित न किया जाए, तो यह दृष्टि हानि का कारण बन सकती हैं। हम मधुमेह और आंखों की समस्याओं के बीच के जटिल संबंध को विस्तार से समझेंगे, और जानेंगे कि कैसे समय पर उपचार और सही देखभाल से इन समस्याओं को प्रबंधित किया जा सकता है।

मधुमेह का आंखों पर प्रभाव

मधुमेह का प्रभाव केवल रक्त शर्करा के स्तर तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों को भी प्रभावित कर सकता है। आंखें भी इस प्रभाव से अछूती नहीं रहतीं। रक्त में उच्च शर्करा स्तर आंखों के लेंस और रेटिना पर असर डाल सकता है, जिससे दृष्टि संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इस प्रकार, मधुमेह का लंबे समय तक प्रभाव आंखों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

डायबिटिक रेटिनोपैथी: एक प्रमुख आंख की समस्या

डायबिटिक रेटिनोपैथी मधुमेह के कारण होने वाली आंख की प्रमुख समस्या है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब उच्च रक्त शर्करा स्तर के कारण रेटिना की रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। रेटिना आंख का वह भाग होता है जो प्रकाश को संसाधित करता है और इसे मस्तिष्क को भेजता है, जिससे हम चीजों को देख पाते हैं। डायबिटिक रेटिनोपैथी के कारण, रेटिना की ये छोटी रक्त वाहिकाएं कमजोर हो जाती हैं और उनमें रक्तस्राव हो सकता है, जिससे दृष्टि धुंधली हो सकती है या पूरी तरह से खो भी सकती है।

डायबिटिक रेटिनोपैथी के लक्षण

डायबिटिक रेटिनोपैथी के शुरुआती चरणों में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते, जिससे यह स्थिति और भी खतरनाक हो जाती है। जब लक्षण प्रकट होते हैं, तब तक स्थिति गंभीर हो सकती है। कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

  • धुंधली दृष्टि
  • दृष्टि में धब्बे या फ्लोटर्स का दिखना
  • रात में देखने में कठिनाई
  • दृष्टि के कुछ हिस्सों का अचानक गायब हो जाना

डायबिटिक रेटिनोपैथी के कारण

मधुमेह के कारण रेटिनोपैथी तब होती है जब उच्च रक्त शर्करा स्तर रेटिना की रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। यह स्थिति विशेष रूप से उन लोगों में होती है जिनका मधुमेह लंबे समय से अनियंत्रित रहता है। धूम्रपान, उच्च रक्तचाप, और उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर भी इस स्थिति के विकास में योगदान कर सकते हैं।

मैकुलर एडेमा: रेटिनोपैथी का उन्नत रूप

मैकुलर एडेमा डायबिटिक रेटिनोपैथी का एक उन्नत रूप है। इसमें रेटिना के केंद्र में स्थित मैकुला (जो हमारे स्पष्ट और तीव्र दृष्टि के लिए जिम्मेदार होता है) में तरल पदार्थ का संचय होता है। यह तरल पदार्थ मैकुला को सूजन देता है, जिससे स्पष्ट दृष्टि प्रभावित होती है।

ग्लूकोमा और मधुमेह

मधुमेह के मरीजों में ग्लूकोमा का जोखिम भी बढ़ जाता है। ग्लूकोमा एक ऐसी स्थिति है जिसमें आंख के अंदर दबाव बढ़ जाता है, जिससे ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंच सकता है। यह स्थिति धीरे-धीरे दृष्टि हानि का कारण बन सकती है। मधुमेह के मरीजों में यह स्थिति अन्य लोगों की तुलना में अधिक सामान्य होती है।

मोतियाबिंद और मधुमेह

मधुमेह के मरीजों में मोतियाबिंद का जोखिम भी बढ़ जाता है। मोतियाबिंद एक ऐसी स्थिति है जिसमें आंख का लेंस धुंधला हो जाता है, जिससे दृष्टि प्रभावित होती है। उच्च रक्त शर्करा स्तर लेंस को प्रभावित कर सकता है, जिससे मोतियाबिंद जल्दी विकसित हो सकता है।

मधुमेह के कारण आंखों की समस्याओं की पहचान

मधुमेह के कारण आंखों की समस्याओं की पहचान के लिए नियमित आंखों की जांच आवश्यक है। आंखों की जांच के दौरान, नेत्र चिकित्सक रेटिना, लेंस, और ऑप्टिक नर्व की स्थिति की जांच करता है। आंखों की जांच में निम्नलिखित परीक्षण शामिल हो सकते हैं:

  • डायलेटेड आई एग्जाम: इस परीक्षण में आंखों की पुतलियों को चौड़ा करने के लिए आई ड्रॉप्स का उपयोग किया जाता है, जिससे चिकित्सक रेटिना और ऑप्टिक नर्व की जांच कर सके।
  • ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी (OCT): इस परीक्षण में रेटिना की विस्तृत तस्वीरें ली जाती हैं, जिससे रेटिनोपैथी या मैकुलर एडेमा की पहचान की जा सके।
  • ग्लूकोमा टेस्ट: इस परीक्षण में आंख के अंदर के दबाव की जांच की जाती है, जिससे ग्लूकोमा की पहचान की जा सके।

मधुमेह के कारण आंखों की समस्याओं का उपचार

मधुमेह के कारण आंखों की समस्याओं का उपचार कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि समस्या की गंभीरता, मरीज की उम्र, और अन्य स्वास्थ्य स्थितियां। कुछ सामान्य उपचार विकल्पों में शामिल हैं:

  • ब्लड शुगर नियंत्रण: मधुमेह के मरीजों को अपने रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रित रखने के लिए जीवनशैली में बदलाव और उचित आहार अपनाना चाहिए।
  • लेजर सर्जरी: डायबिटिक रेटिनोपैथी के मामलों में, लेजर सर्जरी का उपयोग किया जा सकता है, जिसमें रक्त वाहिकाओं को सील करने के लिए लेजर बीम का उपयोग किया जाता है।
  • विट्रेक्टोमी: यह एक शल्य चिकित्सा प्रक्रिया है जिसमें आंख के अंदर के तरल पदार्थ को हटाया जाता है और इसे एक विशेष समाधान से बदला जाता है।
  • मैकुलर एडेमा का उपचार: इसमें एंटी-VEGF दवाओं का इंजेक्शन दिया जाता है, जो रेटिना में सूजन को कम करता है।

डायबिटिक रेटिनोपैथी का प्रबंधन और रोकथाम

डायबिटिक रेटिनोपैथी का प्रबंधन और रोकथाम संभव है यदि इसे समय पर पहचाना जाए और उचित उपचार किया जाए। यहां कुछ उपाय हैं जो इस स्थिति को प्रबंधित करने में सहायक हो सकते हैं:

  • नियमित आंखों की जांच: मधुमेह के मरीजों को नियमित रूप से अपनी आंखों की जांच करानी चाहिए। शुरुआती पहचान से रेटिनोपैथी और अन्य आंखों की समस्याओं का समय पर उपचार किया जा सकता है।
  • स्वस्थ आहार: संतुलित आहार और कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले खाद्य पदार्थों का सेवन रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
  • धूम्रपान से बचें: धूम्रपान रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है और रेटिनोपैथी के जोखिम को बढ़ा सकता है।
  • रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल का प्रबंधन: उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल का स्तर आंखों की समस्याओं को बढ़ा सकता है, इसलिए इनका प्रबंधन आवश्यक है।

मधुमेह के मरीजों के लिए आंखों की देखभाल के टिप्स

मधुमेह के मरीजों के लिए आंखों की देखभाल अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां कुछ टिप्स दिए गए हैं जो मधुमेह के मरीजों की आंखों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं:

  • रोजाना व्यायाम करें: नियमित व्यायाम से रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे आंखों की समस्याओं का जोखिम कम होता है।
  • तनाव प्रबंधन: तनाव रक्त शर्करा स्तर को प्रभावित कर सकता है, जिससे आंखों की समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है। इसलिए, ध्यान और योग जैसी तकनीकों का अभ्यास करें।
  • पर्याप्त नींद लें: अच्छी नींद से शरीर की सभी प्रणालियों को संतुलित रखने में मदद मिलती है, जिससे आंखों की सेहत बनी रहती है।
  • आंखों की सुरक्षा: धूप के समय धूप के चश्मे का उपयोग करें और आंखों को धूल और अन्य हानिकारक तत्वों से बचाएं।
मधुमेह के कारण दृष्टि हानि: क्या यह अपरिवर्तनीय है?

मधुमेह के कारण हुई दृष्टि हानि कभी-कभी अपरिवर्तनीय हो सकती है, लेकिन सही समय पर उपचार और देखभाल से इसे रोका जा सकता है या हानि को कम किया जा सकता है। यदि मधुमेह का प्रभाव शुरुआत में ही पहचान लिया जाए, तो दृष्टि हानि को कम किया जा सकता है और मरीज की दृष्टि को सुरक्षित रखा जा सकता है।

भविष्य में मधुमेह के कारण आंखों की समस्याओं के शोध और उपचार

मधुमेह के कारण होने वाली आंखों की समस्याओं के उपचार में निरंतर अनुसंधान चल रहा है। नई तकनीकें और उपचार विधियां विकसित की जा रही हैं जो रेटिनोपैथी और अन्य आंखों की समस्याओं के प्रबंधन में सहायता कर सकती हैं। भविष्य में, इन शोधों से मरीजों के लिए और भी बेहतर और प्रभावी उपचार उपलब्ध हो सकते हैं।

मधुमेह के कारण आंखों की समस्याएं गंभीर हो सकती हैं, लेकिन सही समय पर पहचान और उपचार से इन्हें प्रबंधित किया जा सकता है। मधुमेह के मरीजों को अपनी आंखों की सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए और नियमित रूप से आंखों की जांच करानी चाहिए। स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर और समय पर चिकित्सा सहायता लेकर मधुमेह के कारण होने वाली दृष्टि हानि को रोका जा सकता है।

FAQs

Q.1 – मधुमेह के मरीजों को आंखों की जांच कितनी बार करानी चाहिए?

मधुमेह के मरीजों को साल में कम से कम एक बार आंखों की जांच करानी चाहिए। यदि कोई आंखों की समस्या पहले से है, तो डॉक्टर की सलाह के अनुसार और अधिक बार जांच करानी चाहिए।

Q.2 – क्या मधुमेह के कारण दृष्टि हानि को रोका जा सकता है?

जी हां, सही समय पर पहचान और उपचार से मधुमेह के कारण दृष्टि हानि को रोका जा सकता है। रक्त शर्करा नियंत्रण, नियमित आंखों की जांच, और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से दृष्टि हानि के जोखिम को कम किया जा सकता है।

Q.3 – डायबिटिक रेटिनोपैथी का इलाज कैसे किया जाता है?

डायबिटिक रेटिनोपैथी का इलाज कई तरीकों से किया जा सकता है, जिसमें रक्त शर्करा का नियंत्रण, लेजर सर्जरी, और विट्रेक्टोमी शामिल हैं। उपचार का चयन स्थिति की गंभीरता और मरीज की अन्य स्वास्थ्य स्थितियों पर निर्भर करता है।

Q.4 – क्या मधुमेह के कारण मोतियाबिंद का जोखिम बढ़ जाता है?

जी हां, मधुमेह के कारण मोतियाबिंद का जोखिम बढ़ जाता है। उच्च रक्त शर्करा स्तर लेंस को प्रभावित कर सकता है, जिससे मोतियाबिंद जल्दी विकसित हो सकता है।

Q.5 – ग्लूकोमा और मधुमेह के बीच क्या संबंध है?

मधुमेह के मरीजों में ग्लूकोमा का जोखिम अधिक होता है। ग्लूकोमा में आंख के अंदर का दबाव बढ़ जाता है, जिससे ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंच सकता है और धीरे-धीरे दृष्टि हानि हो सकती है।

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