गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं। यदि महिला को पहले से ही PCOS (Polycystic Ovary Syndrome) है, तो उसके शरीर में पहले से ही हार्मोन का असंतुलन मौजूद होता है। ऐसे में यदि थायरॉइड हार्मोन भी असंतुलित हो जाए, तो मां और भ्रूण दोनों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि गर्भावस्था में PCOS और थायरॉइड का क्या संबंध है, यह स्थिति भ्रूण पर कैसे असर डालती है, और कैसे इसकी निगरानी और प्रबंधन किया जा सकता है।
PCOS और थायरॉइड: क्या है संबंध?
PCOS एक ऐसी स्थिति है जिसमें अंडाशय सामान्य रूप से काम नहीं करते। यह समस्या हार्मोनल असंतुलन के कारण होती है और इससे पीड़ित महिलाओं में प्रजनन संबंधित परेशानियां होती हैं।
वहीं थायरॉइड ग्रंथि शरीर की चयापचय दर (metabolism), ऊर्जा, हार्मोन और विकास को नियंत्रित करने के लिए ज़िम्मेदार होती है।
अब बात करते हैं संबंध की — शोध से यह साबित हो चुका है कि PCOS से पीड़ित महिलाओं में थायरॉइड विकार, विशेषकर हाइपोथायरॉइडिज़्म, होने की संभावना सामान्य महिलाओं की तुलना में अधिक होती है। जब दोनों स्थितियां साथ होती हैं, तो गर्भावस्था में जटिलताएं बढ़ जाती हैं।
गर्भावस्था में थायरॉइड का महत्व क्यों है?
गर्भावस्था में, विशेषकर पहले 12 सप्ताह तक, भ्रूण का थायरॉइड पूरी तरह से विकसित नहीं होता। इस समय वह पूरी तरह से मां के थायरॉइड हार्मोन पर निर्भर होता है।
थायरॉइड हार्मोन भ्रूण के मस्तिष्क विकास, हड्डियों की ग्रोथ, तंत्रिका तंत्र और शरीर के अंगों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसे में यदि मां के थायरॉइड हार्मोन असंतुलित हों, तो भ्रूण की ग्रोथ पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
PCOS, थायरॉइड और गर्भावस्था: जोखिमों की त्रासदी
जब किसी महिला को एक साथ तीनों स्थितियां — गर्भावस्था, PCOS और थायरॉइड — हों, तो यह गर्भ की प्रगति को प्रभावित कर सकता है:
1. गर्भपात (Miscarriage) का खतरा बढ़ता है
PCOS और हाइपोथायरॉइडिज़्म दोनों ही गर्भपात की संभावना को दोगुना बढ़ा देते हैं।
2. Pre-eclampsia (गर्भावस्था में हाई BP)
PCOS और थायरॉइड दोनों हाई ब्लड प्रेशर के कारक बन सकते हैं, जो शिशु और मां दोनों के लिए खतरनाक होता है।
3. Preterm Delivery (समय से पहले प्रसव)
थायरॉइड का असंतुलन समय से पहले लेबर की शुरुआत करवा सकता है।
4. भ्रूण का मस्तिष्क विकास प्रभावित होना
थायरॉइड की कमी से शिशु में न्यूरोलॉजिकल समस्याएं या धीमी मानसिक वृद्धि हो सकती है।
5. गर्भ में भ्रूण की ग्रोथ रुकना (IUGR)
मां में हाइपोथायरॉइडिज़्म होने से बच्चे का वजन कम हो सकता है या वह सामान्य से कम विकसित हो सकता है।
थायरॉइड की जांच कब और कैसे करानी चाहिए?
विशेष रूप से यदि महिला को PCOS हो, तो डॉक्टर की सलाह पर गर्भावस्था की शुरुआत में ही थायरॉइड की जांच कराना अनिवार्य है।
जरूरी टेस्ट:
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TSH (Thyroid Stimulating Hormone)
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Free T3 & Free T4
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Anti-TPO Antibodies (ऑटोइम्यून थायरॉइडाइटिस जांचने के लिए)
थायरॉइड मैनेजमेंट के उपाय
1. दवाएं समय पर और नियमित लें
थायरॉइड की कमी होने पर डॉक्टर अक्सर लेवोथायरॉक्सिन (Levothyroxine) नामक दवा देते हैं। इसे सुबह खाली पेट लेना जरूरी होता है।
2. TSH लेवल की मॉनिटरिंग
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पहली तिमाही में: <2.5 mIU/L
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दूसरी तिमाही में: <3.0 mIU/L
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तीसरी तिमाही में: <3.5 mIU/L
3. आहार में आयोडीन शामिल करें
गर्भावस्था के दौरान महिला को आयोडीन युक्त नमक, डेयरी उत्पाद, सी-फूड (यदि खाती हों) आदि लेना चाहिए।
4. स्ट्रेस कम करें
तनाव PCOS और थायरॉइड दोनों को खराब करता है। प्राणायाम, ध्यान और पर्याप्त नींद से मदद मिलती है।
5. व्यायाम करें लेकिन सीमित और सुरक्षित
हल्की वॉक, योग और स्ट्रेचिंग गर्भवती महिलाओं के लिए उपयुक्त होते हैं।
PCOS, थायरॉइड और शिशु का स्वास्थ्य
यदि मां के हार्मोन असंतुलित रहें, तो शिशु को ये खतरे हो सकते हैं:
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कम वजन के साथ जन्म
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मस्तिष्क की कार्यक्षमता में कमी
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जन्म के बाद थायरॉइड संबंधी समस्याएं
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भविष्य में मोटापा या मेटाबॉलिक सिंड्रोम
इसलिए जरूरी है कि मां अपने हार्मोनल स्वास्थ्य का ध्यान रखे।
क्या गर्भावस्था संभव है PCOS और थायरॉइड के साथ?
हाँ, बिल्कुल संभव है। लेकिन इसमें प्लानिंग, निरंतर निगरानी और डॉक्टर की गहन देखरेख जरूरी होती है। कई महिलाएं PCOS और थायरॉइड दोनों के बावजूद स्वस्थ बच्चे को जन्म देती हैं यदि वे सही मार्गदर्शन अपनाती हैं।
सही समय पर चिकित्सकीय मदद कब लें?
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यदि गर्भ के पहले तीन महीने में अत्यधिक थकान, बाल झड़ना, वजन बढ़ना, कब्ज या डिप्रेशन जैसे लक्षण हों
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यदि अल्ट्रासाउंड में भ्रूण की ग्रोथ सामान्य न हो
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यदि पहले गर्भपात हो चुका हो
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यदि पहले भी थायरॉइड की दवा चल रही हो
PCOS और थायरॉइड दोनों ही हार्मोनल असंतुलन की स्थितियां हैं। जब कोई महिला गर्भवती होती है और साथ में PCOS से ग्रसित होती है, तो थायरॉइड का प्रबंधन बेहद जरूरी हो जाता है। यह न केवल मां की सुरक्षा सुनिश्चित करता है बल्कि भ्रूण के संपूर्ण विकास के लिए भी अनिवार्य होता है।
सही समय पर जांच, नियमित दवा सेवन और डॉक्टर के निर्देशन में गर्भावस्था को सुरक्षित बनाना संभव है। यह समझना जरूरी है कि थायरॉइड और PCOS का संतुलित नियंत्रण ही स्वस्थ मातृत्व की कुंजी है।
FAQs
1. क्या PCOS वाली महिला में थायरॉइड की समस्या ज्यादा होती है?
हाँ, PCOS से पीड़ित महिलाओं में हाइपोथायरॉइडिज़्म की संभावना सामान्य से अधिक होती है।
2. क्या थायरॉइड की जांच गर्भावस्था में जरूरी है?
हाँ, विशेषकर PCOS वाली महिला में शुरुआत में TSH और Free T4 की जांच जरूरी होती है।
3. क्या थायरॉइड का इलाज गर्भावस्था में सुरक्षित है?
हाँ, लेवोथायरॉक्सिन दवा गर्भावस्था में सुरक्षित मानी जाती है।
4. क्या थायरॉइड शिशु के दिमागी विकास पर असर डालता है?
बिल्कुल, मां का थायरॉइड हार्मोन भ्रूण के न्यूरोलॉजिकल विकास के लिए आवश्यक होता है।
5. क्या केवल PCOS होना भी थायरॉइड जांच की आवश्यकता पैदा करता है?
हाँ, क्योंकि PCOS और थायरॉइड विकारों में आपसी संबंध होता है, इसलिए दोनों की जांच की जाती है।