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डायबिटीज इन्सिपिडस के लक्षण: जानें इसके संकेत और उपाय

Hindi
5 min read
Naimish Mishra
Written by
Naimish Mishra
Posted on
October 10, 2025
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डायबिटीज इन्सिपिडस (Diabetes Insipidus) एक दुर्लभ लेकिन गंभीर रोग है, जो शरीर के तरल संतुलन में गड़बड़ी के कारण उत्पन्न होता है। इसका प्रभाव शरीर में पानी के अनुपात और पेशाब के उत्पादन पर पड़ता है। जबकि डायबिटीज मेलीटस (Diabetes Mellitus) अधिक आम और जाना-पहचाना रूप है, डायबिटीज इन्सिपिडस एक बिल्कुल अलग रोग है, जिसे सही समय पर पहचानना और उपचार करना आवश्यक है।

डायबिटीज इन्सिपिडस: क्या है यह रोग?

डायबिटीज इन्सिपिडस एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर पर्याप्त मात्रा में एंटीडाययुरेटिक हार्मोन (ADH) या वासोप्रेसिन का उत्पादन नहीं कर पाता या फिर किडनी इसका सही तरीके से उपयोग नहीं कर पाती। वासोप्रेसिन एक महत्वपूर्ण हार्मोन है जो किडनी को पानी की पुन: अवशोषण प्रक्रिया को नियंत्रित करने में मदद करता है। इस हार्मोन की कमी से शरीर अत्यधिक मात्रा में पानी खोने लगता है, जिसके परिणामस्वरूप पेशाब की मात्रा बहुत बढ़ जाती है और व्यक्ति बार-बार प्यास का अनुभव करता है।

डायबिटीज इन्सिपिडस के लक्षण

डायबिटीज इन्सिपिडस के लक्षण बेहद स्पष्ट होते हैं, लेकिन उन्हें अन्य सामान्य बीमारियों के साथ मिलाकर देखा जा सकता है। इस रोग के मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं:

  • अत्यधिक प्यास: डायबिटीज इन्सिपिडस का सबसे प्रमुख लक्षण व्यक्ति की अत्यधिक प्यास है। रोगी को बार-बार और अत्यधिक पानी पीने की इच्छा होती है, जो सामान्य से काफी अधिक हो सकती है।
  • बार-बार पेशाब आना: यह रोग पेशाब की अत्यधिक मात्रा का कारण बनता है। एक सामान्य व्यक्ति दिन में लगभग 1-2 लीटर पेशाब करता है, लेकिन डायबिटीज इन्सिपिडस के रोगी में यह मात्रा 3-20 लीटर तक हो सकती है।
  • रात को बार-बार उठना: रात में बार-बार पेशाब के लिए उठना (नोक्तुरिया) भी इस रोग का एक सामान्य लक्षण है। यह नींद में खलल डालता है और व्यक्ति को आरामदायक नींद लेने में कठिनाई होती है।
  • शारीरिक थकान: लगातार प्यास और पेशाब के कारण शरीर में पानी की कमी हो जाती है, जिससे व्यक्ति थका-थका महसूस करता है। ऊर्जा की कमी और अत्यधिक थकान भी इस रोग का हिस्सा हो सकती है।
  • वजन में कमी: पेशाब के माध्यम से शरीर से अधिक मात्रा में पानी निकलने के कारण वजन में कमी हो सकती है। यह कमी खासकर बच्चों और बुजुर्गों में ज्यादा देखी जा सकती है।
  • मुँह का सूखना: अत्यधिक प्यास के कारण व्यक्ति का मुँह हमेशा सूखा महसूस होता है, जिससे उसे असुविधा होती है।
  • चक्कर आना और कमजोरी: शरीर में पानी की कमी से रक्तचाप में गिरावट आती है, जिससे चक्कर आना और कमजोरी का अनुभव हो सकता है।
  • मस्तिष्क में सूजन: यदि स्थिति गंभीर हो जाए और शरीर में पानी की कमी हो तो मस्तिष्क में सूजन भी हो सकती है, जो व्यक्ति के लिए जानलेवा हो सकती है।

डायबिटीज इन्सिपिडस के प्रकार

डायबिटीज इन्सिपिडस के चार प्रमुख प्रकार होते हैं, जो इसके लक्षणों और कारणों के आधार पर विभाजित किए जाते हैं:

  • सेन्ट्रल डायबिटीज इन्सिपिडस: यह प्रकार तब होता है जब मस्तिष्क का हाइपोथैलमस (Hypothalamus) या पिट्यूटरी ग्लैंड (Pituitary Gland) पर्याप्त मात्रा में वासोप्रेसिन नहीं बना पाता। यह स्थिति सिर की चोट, सर्जरी, संक्रमण, या अनुवांशिक कारणों से हो सकती है।
  • नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस: इस प्रकार में किडनी वासोप्रेसिन का सही से उपयोग नहीं कर पाती। यह स्थिति अक्सर किडनी में समस्या, कुछ दवाइयों के सेवन या अनुवांशिक कारणों से उत्पन्न होती है।
  • डिप्सोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस: इसमें मस्तिष्क का वह हिस्सा प्रभावित होता है जो प्यास को नियंत्रित करता है। इससे व्यक्ति अत्यधिक मात्रा में पानी पीने लगता है, जिससे पेशाब की मात्रा बढ़ जाती है।
  • गर्भावस्था के दौरान होने वाला डायबिटीज इन्सिपिडस: यह प्रकार गर्भवती महिलाओं में होता है, जब प्लेसेंटा वासोप्रेसिन को तोड़ने वाले एंजाइम का उत्पादन करती है। यह स्थिति अक्सर गर्भावस्था के आखिरी तिमाही में होती है और बच्चे के जन्म के बाद ठीक हो जाती है।

डायबिटीज इन्सिपिडस का निदान

डायबिटीज इन्सिपिडस के निदान के लिए कई प्रकार के टेस्ट किए जाते हैं:

  • पानी की कमी का परीक्षण (Water Deprivation Test): इस टेस्ट में मरीज को कुछ समय के लिए पानी पीने से रोका जाता है और उसके बाद उसके पेशाब का परीक्षण किया जाता है। यदि पेशाब की मात्रा कम नहीं होती है और वह पतला रहता है, तो डायबिटीज इन्सिपिडस का संदेह होता है।
  • वासोप्रेसिन टेस्ट: इस टेस्ट में मरीज को वासोप्रेसिन का इंजेक्शन दिया जाता है। अगर इसके बाद पेशाब की मात्रा कम हो जाती है, तो इसका मतलब है कि शरीर वासोप्रेसिन का उत्पादन नहीं कर पा रहा था।
  • एमआरआई स्कैन: मस्तिष्क में किसी प्रकार की समस्या की पहचान करने के लिए एमआरआई स्कैन का उपयोग किया जाता है। यह हाइपोथैलमस या पिट्यूटरी ग्लैंड में किसी प्रकार की असामान्यता को दिखा सकता है।

डायबिटीज इन्सिपिडस का उपचार

डायबिटीज इन्सिपिडस के उपचार का लक्ष्य शरीर में पानी की संतुलन को बनाए रखना और पेशाब की मात्रा को नियंत्रित करना होता है। उपचार के विकल्प इस प्रकार हो सकते हैं:

  • दवाइयाँ: सेन्ट्रल डायबिटीज इन्सिपिडस के उपचार के लिए वासोप्रेसिन की कमी को पूरा करने के लिए डेस्मोप्रेसिन (Desmopressin) नामक दवा दी जाती है। यह दवा नाक के स्प्रे, इंजेक्शन, या टैबलेट के रूप में उपलब्ध होती है।
  • किडनी की देखभाल: नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इन्सिपिडस में किडनी की स्थिति सुधारने के लिए दवाइयाँ दी जाती हैं। इसके अलावा, कुछ मामलों में नमक की मात्रा को कम करने की सलाह दी जाती है।
  • पानी की मात्रा का संतुलन: मरीज को पर्याप्त मात्रा में पानी पीने की सलाह दी जाती है ताकि शरीर में पानी की कमी न हो।
  • आहार में बदलाव: मरीज को अपने आहार में कुछ बदलाव करने की सलाह दी जाती है, जैसे कि नमक की मात्रा को नियंत्रित करना और ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना जो शरीर में पानी की कमी को कम कर सकें।

डायबिटीज इन्सिपिडस और जीवनशैली

डायबिटीज इन्सिपिडस के साथ जीना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन सही देखभाल और जीवनशैली में कुछ बदलाव करके इसे प्रबंधित किया जा सकता है:

  • पानी का सेवन: हमेशा साथ में पानी की बोतल रखें और समय-समय पर पानी पीते रहें। इससे शरीर में पानी की कमी नहीं होगी और आप तरोताजा महसूस करेंगे।
  • नियमित स्वास्थ्य जांच: नियमित रूप से डॉक्टर से मिलकर अपने स्वास्थ्य की जांच कराएं और अपनी दवाइयों का सेवन सही तरीके से करें।
  • समय पर दवा लें: दवाइयों का समय पर और नियमित सेवन करें, ताकि रोग को नियंत्रित किया जा सके।
  • सक्रिय रहें: शारीरिक गतिविधियों में शामिल रहें, लेकिन अत्यधिक व्यायाम से बचें, जिससे पानी की कमी हो सकती है।
  • स्वस्थ आहार: संतुलित और स्वस्थ आहार लें जिसमें शरीर को आवश्यक पोषक तत्व मिल सकें।
डायबिटीज इन्सिपिडस के साथ बच्चों का जीवन

डायबिटीज इन्सिपिडस का बच्चों पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है। बच्चों में यह रोग उनके विकास और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। माता-पिता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके बच्चे का इलाज समय पर हो और उसकी आवश्यक देखभाल हो। बच्चों को स्कूल में शिक्षकों को उनके रोग के बारे में जानकारी दें ताकि उनकी विशेष आवश्यकताओं का ध्यान रखा जा सके।

डायबिटीज इन्सिपिडस एक गंभीर स्थिति है, लेकिन सही जानकारी, इलाज, और जीवनशैली में बदलाव के साथ इसे नियंत्रित किया जा सकता है। यह महत्वपूर्ण है कि रोग के लक्षणों को जल्दी पहचाना जाए और समय पर चिकित्सा सहायता ली जाए। इस रोग के साथ जीवन जीने के लिए धैर्य और सही देखभाल आवश्यक है, जो व्यक्ति को स्वस्थ और सुखी जीवन जीने में मदद करती है।

FAQs

Q.1 – डायबिटीज इन्सिपिडस के लक्षण क्या हैं?
डायबिटीज इन्सिपिडस के प्रमुख लक्षणों में अत्यधिक प्यास, बार-बार पेशाब आना, रात में बार-बार उठना, थकान, मुँह का सूखना, और वजन में कमी शामिल हैं।

Q.2 – डायबिटीज इन्सिपिडस और डायबिटीज मेलीटस में क्या अंतर है?
डायबिटीज इन्सिपिडस और डायबिटीज मेलीटस दो अलग-अलग रोग हैं। डायबिटीज मेलीटस में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है, जबकि डायबिटीज इन्सिपिडस में शरीर का पानी संतुलन बिगड़ जाता है।

Q.3 – क्या डायबिटीज इन्सिपिडस का इलाज संभव है?
हां, डायबिटीज इन्सिपिडस का इलाज संभव है। सही दवाइयों, आहार और जीवनशैली में बदलाव के साथ इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

Q.4 – क्या डायबिटीज इन्सिपिडस का प्रभाव जीवन की गुणवत्ता पर पड़ता है?
हां, अगर इस रोग का सही समय पर इलाज नहीं किया गया तो यह जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है, लेकिन सही देखभाल और उपचार के साथ इसे प्रबंधित किया जा सकता है।

Q.5 – डायबिटीज इन्सिपिडस का निदान कैसे किया जाता है?
डायबिटीज इन्सिपिडस का निदान पानी की कमी का परीक्षण, वासोप्रेसिन टेस्ट, और एमआरआई स्कैन के माध्यम से किया जाता है।

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