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गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर: एक स्वस्थ माँ और शिशु के लिए जरूरी जानकारी

Hindi
4 min read
Naimish Mishra
Written by
Naimish Mishra
Posted on
December 10, 2025

उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) गर्भावस्था में एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन सकता है, जो न केवल मां बल्कि शिशु की सुरक्षा के लिए भी हानिकारक साबित हो सकता है। यह समस्या अक्सर गर्भावस्था के दौरान पहली बार सामने आती है, और इसे समय रहते पहचान कर उपचार करना आवश्यक होता है। उचित देखभाल और उपचार से इस स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है और स्वस्थ गर्भावस्था को सुनिश्चित किया जा सकता है।

गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप को लेकर कई भ्रांतियाँ भी हैं, जिन्हें दूर करना आवश्यक है। आइए, इस लेख में हम गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप के कारणों, लक्षणों, प्रभावों और इसके प्रबंधन के तरीकों पर विस्तृत जानकारी प्राप्त करें।

गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप क्या है?

गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप एक ऐसी स्थिति है, जिसमें महिला के रक्तवाहिनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है। सामान्य तौर पर रक्तचाप 120/80 mmHg होता है, लेकिन जब यह 140/90 mmHg से ऊपर चला जाता है, तो इसे उच्च रक्तचाप कहा जाता है। गर्भवती महिलाओं में उच्च रक्तचाप की समस्या कुछ परिस्थितियों में अधिक जोखिमपूर्ण हो सकती है, इसलिए इसे नियंत्रित रखना बहुत महत्वपूर्ण है।

गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप के प्रकार

गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप को कई श्रेणियों में बाँटा जा सकता है:

  • गर्भावस्थाजन्य उच्च रक्तचाप (Gestational Hypertension): यह स्थिति गर्भावस्था के दौरान दूसरी तिमाही से शुरू होती है और प्रसव के बाद सामान्य हो सकती है।
  • प्रिक्लेम्पसिया (Preeclampsia): यह गर्भावस्था का एक गम्भीर रूप है, जिसमें उच्च रक्तचाप के साथ-साथ प्रोटीन का मूत्र में बढ़ना और सूजन भी शामिल होती है। यह स्थिति माँ और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकती है।
  • क्रोनिक हाइपरटेंशन (Chronic Hypertension): यह स्थिति उन महिलाओं में होती है जिनका रक्तचाप गर्भावस्था से पहले ही उच्च रहता है।
  • क्रोनिक हाइपरटेंशन के साथ प्रिक्लेम्पसिया (Chronic Hypertension with Superimposed Preeclampsia): इसमें क्रोनिक हाइपरटेंशन के साथ प्रिक्लेम्पसिया भी हो सकता है।

उच्च रक्तचाप के कारण

गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप के कारणों का सही कारण जानना कठिन हो सकता है, परन्तु कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हो सकते हैं:

  • वंशानुगत प्रवृत्ति: परिवार में उच्च रक्तचाप का इतिहास होना।
  • मोटापा: गर्भवती महिला का अधिक वजन होना।
  • उम्र: 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में यह समस्या अधिक होती है।
  • पहली बार गर्भधारण: पहली बार गर्भधारण करने वाली महिलाओं में प्रिक्लेम्पसिया का खतरा अधिक रहता है।
  • एकाधिक गर्भधारण: दो या अधिक बच्चों का गर्भधारण करना।

गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप के लक्षण

  • सिरदर्द: लगातार सिर में दर्द रहना।
  • दृष्टि में धुंधलापन: अचानक दृष्टि में कमी या धुंधलापन आना।
  • अत्यधिक सूजन: चेहरे, हाथों और पैरों में अत्यधिक सूजन।
  • मूत्र में प्रोटीन: मूत्र में प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाना।
  • ऊपरी पेट में दर्द: विशेष रूप से दाहिनी तरफ पेट में दर्द महसूस होना।

उच्च रक्तचाप का प्रभाव माँ और बच्चे पर

गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप माँ और शिशु दोनों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है।

  • माँ पर प्रभाव: इससे प्रिक्लेम्पसिया, इकोलम्पसिया (ख़तरनाक दौरे), और गर्भावस्था में लिवर और किडनी को क्षति पहुंच सकती है।
  • शिशु पर प्रभाव: इसके कारण शिशु का विकास अवरुद्ध हो सकता है, गर्भ में ऑक्सीजन की कमी हो सकती है, और समय से पहले प्रसव का खतरा बढ़ सकता है।

गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप का निदान

उच्च रक्तचाप का निदान निम्नलिखित तरीकों से किया जाता है:

  • रक्तचाप मापना: नियमित रूप से ब्लड प्रेशर मॉनिटर का उपयोग करके।
  • मूत्र परीक्षण: प्रोटीन की मात्रा का परीक्षण करने के लिए।
  • अल्ट्रासाउंड: शिशु के विकास का मूल्यांकन करने के लिए।
  • डॉपलर अल्ट्रासाउंड: शिशु के दिल की धड़कनों और रक्त संचार की जांच करने के लिए।

गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप का उपचार

उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न उपाय किए जा सकते हैं:

  • स्वस्थ आहार: संतुलित आहार का सेवन करें जिसमें कम नमक और वसा हो।
  • शारीरिक गतिविधि: गर्भवती महिलाओं के लिए हल्की एक्सरसाइज फायदेमंद होती है।
  • तनाव का प्रबंधन: योग और ध्यान जैसे उपाय करें जो मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं।
  • दवाइयों का सेवन: डॉक्टर के परामर्श अनुसार ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने के लिए दवाइयाँ लें।
  • नियमित परीक्षण: ब्लड प्रेशर और शिशु की स्थिति की नियमित जांच कराते रहें।
उच्च रक्तचाप से बचाव के उपाय
  • सही आहार और व्यायाम: उच्च रक्तचाप के जोखिम को कम करने के लिए सही आहार और नियमित व्यायाम आवश्यक है।
  • तनाव से बचाव: गर्भावस्था के दौरान मानसिक शांति को बनाए रखना महत्वपूर्ण होता है।
  • धूम्रपान और शराब से बचें: ये दोनों गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप के कारण बन सकते हैं।
FAQs

Q.1 – उच्च रक्तचाप का गर्भवती महिला की संतान पर क्या प्रभाव हो सकता है?
उच्च रक्तचाप से शिशु का विकास प्रभावित हो सकता है, समय से पहले प्रसव हो सकता है, और शिशु का वजन सामान्य से कम हो सकता है। इससे गर्भ में ऑक्सीजन की कमी का भी खतरा रहता है, जिससे शिशु की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

Q.2 – क्या गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप का जोखिम पहले प्रसव के बाद भी रहता है?
कुछ मामलों में गर्भावस्था के बाद रक्तचाप सामान्य हो जाता है, जबकि अन्य महिलाओं में यह समस्या बनी रह सकती है। यदि महिला का रक्तचाप प्रसव के बाद भी उच्च बना रहता है, तो उसे नियमित जांच और उपचार की आवश्यकता हो सकती है।

Q.3 – गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है?
उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, नमक का कम सेवन, और तनाव प्रबंधन महत्वपूर्ण हैं। डॉक्टर द्वारा सुझाई गई दवाइयों का सेवन भी आवश्यक है, लेकिन इन्हें हमेशा डॉक्टर की निगरानी में ही लें।

Q.4 – क्या गर्भावस्था में उच्च रक्तचाप के कारण सिजेरियन डिलीवरी आवश्यक होती है?
सभी उच्च रक्तचाप के मामलों में सिजेरियन डिलीवरी आवश्यक नहीं होती। लेकिन गंभीर उच्च रक्तचाप, प्रिक्लेम्पसिया या शिशु की अन्य समस्याओं के मामलों में डॉक्टर सिजेरियन डिलीवरी की सलाह दे सकते हैं।

Q.5 – गर्भावस्था के दौरान रक्तचाप मापने का सही तरीका क्या है?
रक्तचाप मापने के लिए, महिला को 5 मिनट तक आराम करना चाहिए और आरामदायक स्थिति में बैठना चाहिए। दोनों हाथों से मापा रक्तचाप सबसे सटीक माना जाता है। डॉक्टर नियमित रूप से यह माप सकते हैं, और घर पर भी रक्तचाप मॉनिटर का उपयोग किया जा सकता है।

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