आज के दौर में जहां लोग अपने शरीर और फिटनेस को लेकर अत्यधिक सजग हो गए हैं, वहां कुछ लोगों के लिए यह सजगता एक गंभीर बीमारी का रूप ले लेती है, जिसे हम एनोरेक्सिया नर्वोसा (Anorexia Nervosa) कहते हैं। यह केवल एक शारीरिक विकार नहीं, बल्कि एक मानसिक स्थिति भी है जिसमें व्यक्ति खाने से डरने लगता है, वजन बढ़ने की सोच मात्र से तनावग्रस्त हो जाता है।
एनोरेक्सिया का अर्थ (Meaning of Anorexia in Hindi)
एनोरेक्सिया (Anorexia) एक प्रकार का ईटिंग डिसऑर्डर (Eating Disorder) है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को खाने की इच्छा कम हो जाती है या वह जानबूझकर खाना कम कर देता है, क्योंकि उसे लगता है कि वह मोटा हो जाएगा। यह स्थिति शरीर को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से कमजोर कर सकती है।
मेडिकल परिभाषा:
Anorexia Nervosa एक मानसिक विकार है जिसमें व्यक्ति की खुद की बॉडी इमेज को लेकर नकारात्मक सोच होती है और वह भोजन का सेवन कम कर देता है ताकि वजन न बढ़े। यह स्थिति जानलेवा भी हो सकती है यदि समय पर इलाज न किया जाए।
एनोरेक्सिया के कारण (Causes of Anorexia in Hindi)
- मानसिक दबाव (Psychological Pressure):
परफेक्ट बॉडी पाने का दबाव, सोशल मीडिया का प्रभाव, या आत्म-सम्मान की कमी एनोरेक्सिया का मुख्य कारण हो सकता है। - पारिवारिक या सामाजिक कारण:
जिन परिवारों में पतलेपन को सुंदरता माना जाता है, वहां बच्चे इस दबाव में आ सकते हैं। - अनुवांशिक कारण (Genetic Factors):
कुछ मामलों में यह समस्या वंशानुगत भी हो सकती है। - हार्मोनल असंतुलन:
शरीर में कुछ हार्मोन का असंतुलन भूख को प्रभावित कर सकता है। - दिमागी रासायनिक बदलाव (Neurochemical Factors):
मस्तिष्क के कुछ रसायन जैसे सेरोटोनिन का असंतुलन भी इस बीमारी में भूमिका निभा सकता है।
एनोरेक्सिया के लक्षण (Symptoms of Anorexia in Hindi)
- बहुत कम खाना या भूख लगने से इनकार करना
- शरीर के प्रति गलत धारणा (Body Dysmorphia)
- वजन घटने के बावजूद वजन बढ़ने का डर
- अत्यधिक व्यायाम करना
- बाल झड़ना और त्वचा रूखी होना
- मासिक धर्म का रुक जाना (स्त्रियों में)
- कमज़ोरी और चक्कर आना
- ठंड अधिक लगना, शरीर का तापमान कम होना
- डिप्रेशन, चिंता और मूड स्विंग्स
- खुद को दूसरों से अलग-थलग करना
एनोरेक्सिया का निदान (Diagnosis of Anorexia in Hindi)
यदि ऊपर बताए गए लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो डॉक्टर निम्नलिखित जांच कर सकते हैं:
- बीएमआई (BMI) की जांच
- ब्लड टेस्ट और यूरिन टेस्ट
- ईसीजी (ECG) – दिल की जांच के लिए
- साइकोलॉजिकल टेस्टिंग
- परिवार से इंटरव्यू
एनोरेक्सिया का इलाज (Treatment of Anorexia in Hindi)
इस बीमारी का इलाज एक समग्र (holistic) दृष्टिकोण से किया जाता है:
1. मनोचिकित्सा (Psychotherapy):
- सीबीटी (Cognitive Behavioral Therapy):
मरीज की सोच को बदलने में मदद करता है। - फैमिली थेरेपी:
परिवार को भी समझाया जाता है कि वे मरीज का सहयोग कैसे करें।
2. पोषण संबंधी सलाह (Nutritional Counseling):
डाइटिशियन की मदद से एक संतुलित आहार योजना बनाई जाती है।
3. दवाइयां:
अवसाद या चिंता को नियंत्रित करने के लिए कुछ एंटी-डिप्रेसेंट दवाएं दी जा सकती हैं।
4. अस्पताल में भर्ती:
यदि मरीज की हालत बहुत गंभीर हो, तो उसे अस्पताल में भर्ती करके ट्यूब से पोषण दिया जा सकता है।
एनोरेक्सिया से बचाव (Prevention of Anorexia in Hindi)
- बच्चों में आत्मविश्वास और सकारात्मक बॉडी इमेज विकसित करें।
- सोशल मीडिया पर दिखाए जा रहे अवास्तविक सौंदर्य मानकों से सतर्क रहें।
- परिवार और स्कूल में मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें।
- यदि कोई व्यक्ति असामान्य रूप से खाना कम करने लगे, तो उससे बात करें।
- मानसिक तनाव को समय रहते पहचानें और विशेषज्ञ से संपर्क करें।
एनोरेक्सिया के दीर्घकालिक प्रभाव (Long-Term Effects of Anorexia)
- हड्डियों का कमजोर होना (Osteoporosis)
- हृदय संबंधी बीमारियाँ
- गर्भधारण में परेशानी
- मनोविकार जैसे डिप्रेशन
- मृत्यु का खतरा (severe cases में)
भारत में एनोरेक्सिया का प्रचलन
हालांकि भारत में अभी भी इस पर अधिक रिसर्च की आवश्यकता है, लेकिन महिलाओं, किशोरों और मॉडलिंग/फैशन उद्योग से जुड़े लोगों में इसकी संख्या तेजी से बढ़ रही है। इंटरनेट और सोशल मीडिया के कारण युवा वर्ग ज्यादा प्रभावित हो रहा है।
समाज की भूमिका
एनोरेक्सिया जैसी मानसिक बीमारियों को केवल व्यक्ति की कमजोरी समझने की बजाय समझदारी, सहानुभूति और समर्थन के साथ देखा जाना चाहिए। सही समय पर सलाह, खुलकर बात करना और मानसिक स्वास्थ्य के लिए सहयोग बहुत जरूरी है।
एनोरेक्सिया एक गंभीर बीमारी है, लेकिन समय रहते पहचान और इलाज से इससे उबरा जा सकता है। यह केवल एक शारीरिक स्थिति नहीं, बल्कि मानसिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य से भी महत्वपूर्ण है। यदि आप या आपके आस-पास कोई व्यक्ति खाने को लेकर अत्यधिक डर और तनाव महसूस करता है, तो इसे नजरअंदाज न करें और तुरंत विशेषज्ञ से संपर्क करें।