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डिग्लुटिशन क्या है?

Hindi
4 min read
Naimish Mishra
Written by
Naimish Mishra
Posted on
November 21, 2025
deglutition-meaning-in-hindi

डिग्लुटिशन, जिसे हिंदी में निगलने की प्रक्रिया कहते हैं, एक अत्यंत महत्वपूर्ण शारीरिक प्रक्रिया है जो हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है। यह प्रक्रिया भोजन या तरल पदार्थ को मुंह से लेकर पेट तक ले जाने के लिए आवश्यक होती है।

निगलने की प्रक्रिया के विभिन्न चरण

निगलने की प्रक्रिया मुख्यतः तीन चरणों में विभाजित होती है:

मौखिक चरण (Oral Phase)

मौखिक चरण वह चरण है जिसमें भोजन को चबाया जाता है और लार के साथ मिलाया जाता है, जिससे भोजन का एक नरम गोला (बोलस) बनता है। यह चरण स्वैच्छिक होता है और इसके लिए हमारी मांसपेशियों और तंत्रिका तंत्र का समन्वय आवश्यक होता है। इस चरण में, जीभ बोलस को गले की ओर धकेलती है।

ग्रसनी चरण (Pharyngeal Phase)

ग्रसनी चरण में, बोलस को ग्रसनी (फैरिंक्स) से होकर अन्नप्रणाली (इसोफेगस) की ओर ले जाया जाता है। यह चरण अनैच्छिक होता है और इसमें कई तंत्रिकाओं और मांसपेशियों का संलयन होता है। इस चरण में, स्वसन मार्ग बंद हो जाता है ताकि भोजन सांस लेने की नली में न जा सके।

अन्नप्रणाली चरण (Esophageal Phase)

अन्नप्रणाली चरण वह अंतिम चरण है जिसमें बोलस को अन्नप्रणाली से होते हुए पेट में पहुंचाया जाता है। यह चरण भी अनैच्छिक होता है और इसमें अन्नप्रणाली की मांसपेशियों के अनुबंध और विश्राम का समन्वय शामिल होता है।

निगलने की प्रक्रिया का शारीरिक महत्व

निगलने की प्रक्रिया हमारे शरीर के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल हमें भोजन और पानी का सेवन करने में सक्षम बनाती है, बल्कि हमारे पोषण और स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके बिना, शरीर आवश्यक पोषक तत्वों और ऊर्जा से वंचित रह सकता है।

निगलने में समस्याएँ और उनके समाधान

निगलने की प्रक्रिया में कई बार समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इन्हें चिकित्सा भाषा में डिस्फेजिया कहा जाता है। डिस्फेजिया के कई कारण हो सकते हैं, जैसे न्यूरोलॉजिकल विकार, शारीरिक अवरोध, या मांसपेशियों की कमजोरी।

डिस्फेजिया के कारण

  • स्ट्रोक: स्ट्रोक के कारण तंत्रिका तंत्र में क्षति हो सकती है, जिससे निगलने में कठिनाई हो सकती है।
  • न्यूरोमस्कुलर विकार: पार्किंसन्स, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, और मसल डिस्ट्रॉफी जैसे विकार निगलने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं।
  • शारीरिक अवरोध: गले या अन्नप्रणाली में ट्यूमर, स्ट्रिक्चर्स, या अन्य अवरोध निगलने को मुश्किल बना सकते हैं।

डिस्फेजिया के उपचार

डिस्फेजिया के उपचार के लिए विभिन्न प्रकार की चिकित्सा प्रक्रियाएं और उपाय मौजूद हैं।

  • व्यायाम और पुनर्वास: निगलने की मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए विशेष व्यायाम और पुनर्वास प्रक्रियाएं उपयोगी हो सकती हैं।
  • शल्य चिकित्सा: शारीरिक अवरोधों को दूर करने के लिए शल्य चिकित्सा की आवश्यकता हो सकती है।
  • आहार संशोधन: भोजन की बनावट और घनत्व को बदलकर निगलने में आसानी हो सकती है। तरल पदार्थों और नरम खाद्य पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जा सकती है।

निगलने की प्रक्रिया में सुधार के लिए सुझाव

स्वस्थ निगलने की प्रक्रिया के लिए कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं:

  • धीरे-धीरे खाना: खाना खाते समय जल्दबाजी न करें और धीरे-धीरे निगलें।
  • छोटे ग्रास: भोजन को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटें और एक बार में कम मात्रा में ही निगलें।
  • ठोस और तरल पदार्थों का संयोजन: निगलने में सुधार के लिए ठोस और तरल पदार्थों का सही संयोजन करना आवश्यक है।

निगलने की प्रक्रिया में योग और व्यायाम का महत्व

योग और व्यायाम निगलने की प्रक्रिया में सुधार लाने में सहायक हो सकते हैं।

योगासन

  • भुजंगासन: भुजंगासन गले और छाती की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में सहायक है।
  • सर्वांगासन: यह आसन थायरॉइड ग्रंथि को उत्तेजित करता है, जिससे निगलने की प्रक्रिया में सुधार हो सकता है।

व्यायाम

  • मसाज और स्ट्रेचिंग: गले और चेहरे की मांसपेशियों की मसाज और स्ट्रेचिंग से निगलने में सुधार हो सकता है।
  • स्पीच थेरेपी: स्पीच थेरेपी द्वारा मांसपेशियों के नियंत्रण और तालमेल को बढ़ाया जा सकता है।

निगलने की प्रक्रिया और आयुर्वेद

आयुर्वेद में निगलने की प्रक्रिया को स्वस्थ रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं।

आहार और दिनचर्या
  • संतुलित आहार: आयुर्वेद के अनुसार, संतुलित आहार लेना अत्यंत आवश्यक है। इसमें ताजे फल, सब्जियां, और अनाज शामिल होने चाहिए।
  • दिनचर्या: नियमित रूप से योग और ध्यान करना, समय पर भोजन करना, और पर्याप्त मात्रा में पानी पीना निगलने की प्रक्रिया को सुधार सकता है।
आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ
  • अश्वगंधा: यह जड़ी-बूटी तनाव को कम करती है और मांसपेशियों की शक्ति को बढ़ाती है।
  • ब्राह्मी: ब्राह्मी तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करती है और मानसिक शांति प्रदान करती है, जिससे निगलने में सुधार हो सकता है।
निगलने की प्रक्रिया और मानसिक स्वास्थ्य

मानसिक स्वास्थ्य का निगलने की प्रक्रिया पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। तनाव, चिंता, और अवसाद जैसी मानसिक स्थितियाँ निगलने में कठिनाई उत्पन्न कर सकती हैं।

मानसिक स्वास्थ्य सुधार के उपाय
  • ध्यान और मेडिटेशन: ध्यान और मेडिटेशन मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करते हैं, जिससे निगलने में सुधार हो सकता है।
  • मनोचिकित्सा: मनोचिकित्सा द्वारा मानसिक तनाव और चिंता को दूर किया जा सकता है।

निगलने की प्रक्रिया एक महत्वपूर्ण शारीरिक क्रिया है जो हमारे जीवन के प्रत्येक पहलू में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इस प्रक्रिया के विभिन्न चरणों और उनके महत्व को समझना हमारे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए आवश्यक है। मानसिक स्वास्थ्य, योग, और आयुर्वेदिक उपायों के माध्यम से निगलने की प्रक्रिया में सुधार संभव है। स्वस्थ जीवनशैली और संतुलित आहार अपनाकर हम निगलने की प्रक्रिया को सुधार सकते हैं और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।

FAQs

Q.1 – निगलने की प्रक्रिया क्या है?

निगलने की प्रक्रिया वह प्रक्रिया है जिसमें भोजन या तरल पदार्थ को मुंह से पेट तक ले जाया जाता है।

Q.2 – निगलने की प्रक्रिया में कौन-कौन से चरण शामिल हैं?

निगलने की प्रक्रिया मुख्यतः मौखिक चरण, ग्रसनी चरण, और अन्नप्रणाली चरण में विभाजित होती है।

Q.3 – डिस्फेजिया क्या है?

डिस्फेजिया निगलने में कठिनाई को कहते हैं, जो विभिन्न कारणों से उत्पन्न हो सकती है।

Q.4 – डिस्फेजिया के कारण क्या हो सकते हैं?

डिस्फेजिया के कारण स्ट्रोक, न्यूरोमस्कुलर विकार, और शारीरिक अवरोध हो सकते हैं।

Q.5 – निगलने की प्रक्रिया में सुधार के लिए क्या सुझाव हैं?

निगलने की प्रक्रिया में सुधार के लिए धीरे-धीरे खाना, छोटे ग्रास लेना, और ठोस और तरल पदार्थों का संयोजन करना आवश्यक है।

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