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डायबिटिक फुट अल्सर के लक्षण: समझें और रोकथाम के उपाय करें

Hindi
8 min read
Naimish Mishra
Written by
Naimish Mishra
Posted on
October 10, 2025
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डायबिटीज़, जिसे मधुमेह के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसी बीमारी है जो शरीर में शुगर (ग्लूकोज) के स्तर को नियंत्रित करने की क्षमता को प्रभावित करती है। यदि समय पर इसका इलाज न किया जाए, तो यह बीमारी कई गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है, जिनमें से एक है डायबिटिक फुट अल्सर। यह एक गंभीर स्थिति है जो मधुमेह रोगियों के पैरों में होती है और समय पर पहचान न होने पर खतरनाक साबित हो सकती है।

डायबिटिक फुट अल्सर के लक्षणों को समझना बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि यह स्थिति समय के साथ गंभीर हो सकती है और इसमें संक्रमण का भी जोखिम बढ़ जाता है।

डायबिटिक फुट अल्सर क्या है?

डायबिटिक फुट अल्सर एक प्रकार का खुला घाव होता है जो अक्सर पैरों के तलवे पर या पंजों पर बनता है। यह घाव तब उत्पन्न होता है जब पैरों की त्वचा टूट जाती है और नीचे के ऊतकों (tissues) तक संक्रमण पहुंच जाता है। मधुमेह के रोगियों में पैरों में रक्त संचार की समस्या और न्यूरोपैथी के कारण इन अल्सरों का खतरा अधिक होता है।

डायबिटिक फुट अल्सर के प्रमुख कारण

डायबिटिक फुट अल्सर होने के कई कारण हो सकते हैं, जो निम्नलिखित हैं:

  1. रक्त संचार की कमी: मधुमेह के कारण धमनियों में संकुचन होता है, जिससे पैरों में रक्त संचार की कमी हो जाती है। इस कारण पैरों की त्वचा को सही मात्रा में ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं, जिससे अल्सर बनने का खतरा बढ़ जाता है।
  2. न्यूरोपैथी: यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें तंत्रिकाओं का नुकसान होता है, जिससे पैर सुन्न हो सकते हैं। इस सुन्नता के कारण रोगी को पैरों में चोट या घाव का पता नहीं चलता, जिससे यह घाव समय के साथ बढ़ता जाता है।
  3. इम्यून सिस्टम की कमजोरी: मधुमेह के रोगियों में शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) कमजोर हो जाती है, जिससे शरीर की संक्रमण से लड़ने की क्षमता घट जाती है। इस कारण घाव जल्दी से नहीं भरते और उनमें संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
  4. जूते का दबाव: गलत आकार या फिटिंग के जूते पहनने से पैरों पर दबाव बढ़ता है, जिससे त्वचा में घाव बन सकते हैं।

डायबिटिक फुट अल्सर के सामान्य लक्षण

डायबिटिक फुट अल्सर के लक्षणों को पहचानना कठिन हो सकता है क्योंकि यह समस्या धीरे-धीरे बढ़ती है। निम्नलिखित लक्षण डायबिटिक फुट अल्सर की पहचान में सहायक हो सकते हैं:

  1. त्वचा का लाल होना: यदि आपके पैरों की त्वचा में अचानक लालिमा हो रही है, तो यह अल्सर की शुरुआत का संकेत हो सकता है।
  2. सूजन: पैरों में सूजन होना और समय के साथ इसका बढ़ना अल्सर का लक्षण हो सकता है।
  3. दर्द या असहजता: डायबिटिक न्यूरोपैथी के कारण, पैरों में दर्द महसूस नहीं होता, लेकिन अगर कोई दर्द हो रहा है तो यह अल्सर का संकेत हो सकता है।
  4. त्वचा में टूट-फूट: पैरों की त्वचा में दरारें आना या फटी हुई त्वचा भी अल्सर का प्रारंभिक लक्षण हो सकती है।
  5. बदबू आना: यदि आपके पैर से बदबू आ रही है तो यह संक्रमण का संकेत हो सकता है, जो कि अल्सर की स्थिति में बढ़ जाता है।
  6. घाव का न भरना: अगर पैरों पर कोई घाव है और वह समय पर ठीक नहीं हो रहा, तो यह डायबिटिक फुट अल्सर का संकेत हो सकता है।
  7. नाखूनों में बदलाव: नाखूनों का रंग बदलना या नाखूनों के आसपास सूजन होना भी अल्सर का संकेत हो सकता है।
  8. पैरों की त्वचा का पतला होना: अगर आपकी पैरों की त्वचा पतली और नाजुक हो गई है, तो यह भी अल्सर की संभावना को बढ़ा सकता है।

डायबिटिक फुट अल्सर के जोखिम कारक

डायबिटिक फुट अल्सर का खतरा कई कारकों से बढ़ सकता है, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

  1. लंबे समय तक डायबिटीज़: जिन लोगों को लंबे समय से मधुमेह है, उन्हें इस स्थिति का खतरा अधिक होता है।
  2. उच्च रक्त शर्करा का स्तर: लगातार उच्च रक्त शर्करा का स्तर भी अल्सर के विकास में योगदान कर सकता है।
  3. मोटापा: अधिक वजन होने से पैरों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे अल्सर बनने का खतरा बढ़ जाता है।
  4. धूम्रपान: धूम्रपान रक्त संचार को बाधित करता है और अल्सर के उपचार को धीमा कर देता है।
  5. खराब जूतों का उपयोग: जूते जो पैर को ठीक से फिट नहीं होते हैं या दबाव डालते हैं, वे अल्सर का कारण बन सकते हैं।

डायबिटिक फुट अल्सर की पहचान और निदान

डायबिटिक फुट अल्सर की पहचान करने के लिए चिकित्सा विशेषज्ञ निम्नलिखित तरीकों का उपयोग करते हैं:

  1. शारीरिक परीक्षण: डॉक्टर आपके पैरों की जांच करेंगे और त्वचा की स्थिति, घाव के आकार, और संक्रमण के संकेतों को देखेंगे।
  2. रक्त संचार की जांच: पैरों में रक्त संचार को जांचने के लिए डॉक्टर डॉपलर अल्ट्रासाउंड या एबीआई (Ankle-Brachial Index) परीक्षण कर सकते हैं।
  3. संक्रमण की जांच: घाव से लिए गए नमूने की प्रयोगशाला में जांच कराई जा सकती है ताकि संक्रमण की पहचान हो सके।
  4. एक्स-रे और एमआरआई: हड्डियों में संक्रमण या अन्य गंभीर समस्याओं का पता लगाने के लिए एक्स-रे या एमआरआई स्कैन किया जा सकता है।

डायबिटिक फुट अल्सर का उपचार

डायबिटिक फुट अल्सर के इलाज के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं। इसका इलाज पूरी तरह से अल्सर की स्थिति, आकार, और संक्रमण की गंभीरता पर निर्भर करता है।

  1. घाव की सफाई: घाव को साफ और संक्रमण मुक्त रखना सबसे पहला कदम है। डॉक्टर नियमित रूप से घाव की सफाई और ड्रेसिंग करते हैं।
  2. एंटीबायोटिक्स: अगर घाव में संक्रमण है, तो एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जा सकता है।
  3. दबाव का प्रबंधन: पैरों से दबाव हटाने के लिए विशेष प्रकार के जूते या इंसोल्स का उपयोग किया जा सकता है।
  4. सर्जरी: गंभीर मामलों में, घाव की सफाई या संक्रमित ऊतकों को हटाने के लिए सर्जरी की जा सकती है।
  5. रक्त शर्करा का नियंत्रण: ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करना अल्सर के उपचार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

डायबिटिक फुट अल्सर की रोकथाम के उपाय

डायबिटिक फुट अल्सर को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  1. ब्लड शुगर की नियमित जांच: रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे नियमित रूप से मॉनिटर करें और डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाओं का सेवन करें।
  2. पैर की रोज़ाना देखभाल: हर दिन अपने पैरों की जांच करें। पैरों में कोई चोट, घाव, लालिमा, या सूजन है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  3. सही जूतों का चयन: ऐसे जूते पहनें जो आपके पैरों में ठीक से फिट हों और दबाव न डालें।
  4. धूम्रपान से बचें: धूम्रपान छोड़ने से रक्त संचार बेहतर होता है, जिससे अल्सर का खतरा कम हो जाता है।
  5. पैरों की त्वचा को मॉइस्चराइज़ करें: पैरों की त्वचा को सूखने से बचाने के लिए नियमित रूप से मॉइस्चराइज़र का उपयोग करें।
  6. नाखूनों की देखभाल: अपने नाखूनों को साफ और कटे हुए रखें। नाखूनों की सफाई के दौरान अधिक सतर्क रहें ताकि कोई चोट न लगे।
  7. नियमित चेक-अप: डॉक्टर के पास नियमित चेक-अप के लिए जाएं, ताकि पैरों की स्थिति का सही समय पर पता लगाया जा सके।

डायबिटिक फुट अल्सर का प्रबंधन

डायबिटिक फुट अल्सर के इलाज के अलावा, इसका प्रबंधन भी बेहद महत्वपूर्ण है ताकि स्थिति बिगड़ने से रोकी जा सके।

  1. शारीरिक गतिविधि: हल्की शारीरिक गतिविधि जैसे कि चलना रक्त संचार में सुधार कर सकती है। हालांकि, पैरों पर अधिक दबाव न डालें।
  2. पौष्टिक आहार: संतुलित आहार का सेवन करें जो शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करें और शुगर के स्तर को नियंत्रित रखे।
  3. वजन प्रबंधन: स्वस्थ वजन बनाए रखने के लिए स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम का पालन करें। अधिक वजन होने से पैरों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे अल्सर बनने का खतरा बढ़ जाता है।
  4. मानसिक स्वास्थ्य: लंबे समय तक किसी भी पुरानी बीमारी से जूझने से मानसिक तनाव बढ़ सकता है। तनाव को कम करने के लिए ध्यान, योग, और परामर्श का सहारा लिया जा सकता है।

डायबिटिक फुट अल्सर से जुड़े सामान्य मिथक

डायबिटिक फुट अल्सर के बारे में कई मिथक प्रचलित हैं जो कि इस गंभीर स्थिति के बारे में गलत धारणाओं को बढ़ावा देते हैं। इन मिथकों को समझना और उनका खंडन करना आवश्यक है:

  1. “डायबिटिक फुट अल्सर केवल बुजुर्गों को होता है”: यह एक आम गलतफहमी है। वास्तव में, किसी भी उम्र का व्यक्ति जो मधुमेह से पीड़ित है, उसे इस स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
  2. “डायबिटिक फुट अल्सर अपने आप ठीक हो जाता है”: यह मिथक भी खतरनाक है। यदि अल्सर का सही समय पर इलाज नहीं किया गया तो यह और भी गंभीर हो सकता है।
  3. “डायबिटिक फुट अल्सर के लिए केवल घरेलू उपचार ही पर्याप्त हैं”: जबकि कुछ घरेलू उपाय सहायक हो सकते हैं, लेकिन चिकित्सा सहायता के बिना केवल घरेलू उपायों पर निर्भर रहना जोखिम भरा हो सकता है।
  4. “डायबिटिक फुट अल्सर का मतलब है कि पैर काटना पड़ेगा”: यह पूरी तरह से गलत है। सही समय पर इलाज और देखभाल से इस स्थिति को बिगड़ने से रोका जा सकता है और अधिकांश मामलों में पैर बचाए जा सकते हैं।

डायबिटिक फुट अल्सर के लिए उपचार के विकल्प

डायबिटिक फुट अल्सर का इलाज करने के कई विकल्प मौजूद हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

  1. ऑक्सीजन थेरेपी: हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी (HBOT) एक ऐसी विधि है जिसमें शरीर को उच्च दबाव वाले ऑक्सीजन में रखा जाता है ताकि घाव जल्दी से ठीक हो सके।
  2. बायोलॉजिकल ड्रेसिंग: ये विशेष प्रकार के ड्रेसिंग होते हैं जो घाव को ढकते हैं और इसे संक्रमण से बचाते हैं।
  3. वैक्यूम-असिस्टेड क्लोजर (VAC): इस तकनीक में घाव से अतिरिक्त तरल पदार्थ को हटाने के लिए वैक्यूम का उपयोग किया जाता है, जिससे घाव जल्दी ठीक होता है।
  4. अंत्रग्य प्रभाव (Off-loading): पैरों से दबाव हटाने के लिए विशेष प्रकार के उपकरणों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि क्रच, वॉकर, या विशेष जूते।
डायबिटिक फुट अल्सर और उसकी जटिलताएं

डायबिटिक फुट अल्सर एक गंभीर स्थिति है और यदि इसका समय पर और सही इलाज नहीं किया गया तो यह कई जटिलताओं का कारण बन सकता है। इनमें से कुछ प्रमुख जटिलताएं निम्नलिखित हैं:

  1. संक्रमण: यदि अल्सर का समय पर इलाज नहीं किया गया तो उसमें संक्रमण हो सकता है, जो कि हड्डियों तक भी फैल सकता है (ऑस्टियोमाइलाइटिस)।
  2. गैंग्रीन: यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें प्रभावित क्षेत्र की त्वचा और ऊतक मर जाते हैं। गैंग्रीन के मामलों में अक्सर प्रभावित अंग को काटना पड़ता है।
  3. पैरों की विकलांगता: गंभीर मामलों में, अल्सर के कारण पैरों की विकलांगता हो सकती है, जिससे चलने-फिरने में समस्या हो सकती है।
  4. जीवन की गुणवत्ता में कमी: लंबे समय तक अल्सर के साथ जीना रोगी की जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है, जिसमें मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार की समस्याएं शामिल हैं।
डायबिटिक फुट अल्सर के साथ जीवन जीना

डायबिटिक फुट अल्सर के साथ जीवन जीना कठिन हो सकता है, लेकिन सही प्रबंधन और उपचार से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। निम्नलिखित उपाय इस स्थिति के साथ जीवन जीने में सहायक हो सकते हैं:

  1. नियमित डॉक्टर के पास जाना: अपने चिकित्सक से नियमित रूप से चेक-अप कराएं ताकि किसी भी नई समस्या का समय पर पता लगाया जा सके।
  2. दर्द का प्रबंधन: अल्सर के कारण होने वाले दर्द को प्रबंधित करने के लिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाओं का सेवन करें।
  3. जीवनशैली में सुधार: स्वस्थ जीवनशैली का पालन करें, जिसमें संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और तनाव प्रबंधन शामिल हैं।
  4. सहायता प्राप्त करें: अगर आप मानसिक या शारीरिक रूप से इस स्थिति के कारण संघर्ष कर रहे हैं, तो परामर्श या सपोर्ट ग्रुप्स की मदद लें।

डायबिटिक फुट अल्सर एक गंभीर समस्या है जो समय पर पहचान और इलाज के बिना खतरनाक हो सकती है। मधुमेह के रोगियों के लिए, पैरों की देखभाल अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि पैरों में किसी भी प्रकार की अनदेखी घातक साबित हो सकती है। सही जानकारी, नियमित चेक-अप, और सावधानियों के साथ इस स्थिति से बचा जा सकता है। यदि आपको या आपके किसी प्रियजन को मधुमेह है, तो इस जानकारी का पालन करें और स्वस्थ जीवन जीएं।

FAQs

Q.1 – डायबिटिक फुट अल्सर का शुरुआती लक्षण क्या होता है?
शुरुआती लक्षणों में पैरों की त्वचा का लाल होना, सूजन, दर्द, और त्वचा में दरारें शामिल हो सकती हैं। इन लक्षणों पर ध्यान देना और समय पर इलाज करवाना आवश्यक है।

Q.2 – क्या डायबिटिक फुट अल्सर का इलाज घर पर किया जा सकता है?
डायबिटिक फुट अल्सर का इलाज केवल घर पर करना जोखिम भरा हो सकता है। इसके लिए चिकित्सा सलाह और उपचार आवश्यक है। हालांकि, डॉक्टर की सलाह पर घर पर कुछ देखभाल उपाय किए जा सकते हैं।

Q.3 – क्या डायबिटिक फुट अल्सर से पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं?
सही समय पर इलाज और देखभाल के साथ, डायबिटिक फुट अल्सर ठीक हो सकता है। हालांकि, अल्सर दोबारा न हो, इसके लिए भविष्य में पैरों की विशेष देखभाल आवश्यक है।

Q.4 – डायबिटिक फुट अल्सर का जोखिम कैसे कम किया जा सकता है?
पैरों की नियमित देखभाल, ब्लड शुगर का नियंत्रण, और सही फिटिंग के जूते पहनकर अल्सर के जोखिम को कम किया जा सकता है।

Q.5 – क्या डायबिटिक फुट अल्सर का मतलब पैर काटना होता है?
हर मामले में ऐसा नहीं होता। सही समय पर इलाज से पैर काटने की नौबत नहीं आती है। हालांकि, गंभीर मामलों में यह विकल्प भी अपनाया जा सकता है।

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