मानव हृदय रक्त को धमनियों में पंप करके शरीर के प्रत्येक भाग तक पहुंचाता है। रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) रक्त के इस प्रवाह द्वारा धमनियों की दीवारों पर पड़ने वाले दबाव को मापता है। जब रक्त का दबाव सामान्य से अधिक होता है, तो इसे उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) कहते हैं। रक्तचाप को दो हिस्सों में मापा जाता है: सिस्टोलिक और डायस्टोलिक।
- सिस्टोलिक (सर्वोच्च): यह तब मापा जाता है जब हृदय पंप कर रहा होता है और धमनियों में उच्चतम दबाव बनता है।
- डायस्टोलिक (न्यूनतम): यह तब मापा जाता है जब हृदय आराम की स्थिति में होता है और धमनियों पर न्यूनतम दबाव होता है।
डायस्टोलिक रक्तचाप का स्तर 80 मिमीएचजी से अधिक होना चिंताजनक हो सकता है और इसे नियंत्रित करने की आवश्यकता होती है।
उच्च डायस्टोलिक रक्तचाप के कारण
आनुवंशिक कारण
विभिन्न शोधों से यह सिद्ध हुआ है कि उच्च रक्तचाप का इतिहास यदि परिवार में हो तो इसके विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है। आनुवंशिक कारक हृदय और रक्त धमनियों के कार्यों को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे रक्तचाप बढ़ सकता है।
अस्वास्थ्यकर आहार
अत्यधिक तली-भुनी, मसालेदार, वसा युक्त, और नमकीन भोजन का सेवन उच्च रक्तचाप के प्रमुख कारणों में से एक है। ये खाद्य पदार्थ शरीर में कोलेस्ट्रॉल और सोडियम का स्तर बढ़ा सकते हैं, जो कि रक्तचाप को बढ़ाने में सहायक होते हैं।
मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता
मोटापा और व्यायाम की कमी से रक्त वाहिनियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। मोटापे के कारण हृदय को रक्त पंप करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिससे डायस्टोलिक स्तर बढ़ सकता है।
अत्यधिक तनाव
मानसिक तनाव भी रक्तचाप को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लंबे समय तक तनाव में रहने से शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं, जो रक्तचाप को बढ़ा सकते हैं।
अत्यधिक शराब और धूम्रपान
धूम्रपान और शराब का अत्यधिक सेवन धमनियों को संकुचित कर सकता है, जिससे रक्तचाप में वृद्धि होती है। ये आदतें हृदय को कमजोर बना देती हैं, जिससे डायस्टोलिक रक्तचाप का स्तर बढ़ सकता है।
नींद की कमी
अपर्याप्त नींद से शरीर में तनाव हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। नींद की कमी से रक्तचाप पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और यह डायस्टोलिक स्तर को बढ़ा सकता है।
उच्च डायस्टोलिक रक्तचाप के लक्षण
उच्च डायस्टोलिक रक्तचाप के लक्षण हर व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं। कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:
- सिरदर्द
- चक्कर आना
- थकान और कमजोरी
- धुंधला दिखना
- छाती में दर्द
- सांस की कमी
उच्च डायस्टोलिक रक्तचाप के जोखिम
उच्च डायस्टोलिक रक्तचाप के कारण हृदय रोग, स्ट्रोक, और किडनी की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
उच्च डायस्टोलिक रक्तचाप को कैसे कम करें?
- स्वास्थ्यकर आहार अपनाएं: फल, सब्जियां, साबुत अनाज, और प्रोटीन युक्त आहार लें।
- नियमित व्यायाम करें: शारीरिक गतिविधि रक्तचाप को नियंत्रित करती है।
- तनाव प्रबंधन: ध्यान और योग से मानसिक तनाव को कम किया जा सकता है।
- धूम्रपान और शराब से दूरी: इनसे दूर रहकर हृदय स्वास्थ्य को सुरक्षित रखा जा सकता है।
- नींद पूरी करें: सात से आठ घंटे की पर्याप्त नींद से रक्तचाप नियंत्रित रहता है।
उच्च डायस्टोलिक रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए जीवनशैली में सुधार
- शर्करा का सेवन घटाएं
- नियमित जांच कराएं
- संतुलित आहार लें
- पर्याप्त जल का सेवन
उच्च डायस्टोलिक रक्तचाप और उपचार
यदि जीवनशैली में सुधार से कोई लाभ न मिले, तो चिकित्सक की सलाह से दवाइयों का सहारा लेना जरूरी है।उच्च डायस्टोलिक रक्तचाप को समझना और इसे नियंत्रित करना स्वस्थ जीवन के लिए महत्वपूर्ण है।
FAQs
Q.1 – क्या डायस्टोलिक रक्तचाप खतरनाक हो सकता है?
हां, उच्च डायस्टोलिक रक्तचाप हृदय रोग, स्ट्रोक और किडनी की समस्याओं का कारण बन सकता है।
Q.2 – डायस्टोलिक रक्तचाप बढ़ने के क्या कारण हैं?
आनुवंशिकता, अस्वास्थ्यकर खानपान, मोटापा, तनाव, धूम्रपान, और शराब का सेवन इसके प्रमुख कारण हैं।
Q.3 – क्या आहार से डायस्टोलिक रक्तचाप नियंत्रित हो सकता है?
हां, संतुलित आहार और कम नमक के सेवन से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
Q.4 – क्या व्यायाम डायस्टोलिक रक्तचाप को कम करता है?
हां, नियमित व्यायाम से रक्तचाप नियंत्रित रहता है और हृदय स्वस्थ रहता है।
Q.5 -कितनी नींद उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में मददगार है?
सात से आठ घंटे की गहरी नींद रक्तचाप को संतुलित रखने में सहायक होती है।