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Jaundice(Peelia)

Hindi
6 min read
Naimish Mishra
Written by
Naimish Mishra
Posted on
December 10, 2025
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पीलिया एक चिकित्सीय स्थिति है जिसमें त्वचा, आँखों का सफेद हिस्सा, और मूत्र का रंग पीला हो जाता है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब रक्त में (Bilirubin)बिलीरुबिन नामक पदार्थ का स्तर बढ़ जाता है। Bilirubin एक पीला पिगमेंट है जो रेड ब्लड सेल्स के टूटने से उत्पन्न होता है। जब यह Bilirubin शरीर से बाहर नहीं निकल पाता, तब यह पीलिया के लक्षण उत्पन्न करता है।

पीलिया कैसे होता है?

रेड ब्लड सेल्स का टूटना और पुनर्निर्माण एक सामान्य प्रक्रिया है। जब ये सेल्स टूटते हैं, तो बिलीरुबिन नामक पदार्थ उत्पन्न होता है। आमतौर पर, जिगर इस बिलीरुबिन को प्रोसेस करके इसे बाइल में परिवर्तित कर देता है, जो बाद में मल के माध्यम से शरीर से बाहर निकलता है। लेकिन जब यह प्रक्रिया किसी कारणवश बाधित होती है, तब रक्त में Bilirubin का स्तर बढ़ जाता है, जिससे पीलिया होता है।

पीलिया के कारण

Viral Hepatitis

वायरल हेपेटाइटिस (A, B, C, D, E) पीलिया का एक प्रमुख कारण है। यह वायरल संक्रमण जिगर को नुकसान पहुँचाते हैं, जिससे बिलीरुबिन का निपटान प्रभावित होता है। हेपेटाइटिस A और E आमतौर पर दूषित भोजन और पानी से फैलते हैं, जबकि हेपेटाइटिस B, C और D संक्रमित रक्त और अन्य शारीरिक द्रवों के संपर्क से फैलते हैं।

Gallbladder की समस्याएं

गॉलब्लैडर में पथरी या अन्य समस्याएं पीलिया का कारण बन सकती हैं। गॉलब्लैडर बाइल को संग्रहित और केंद्रित करता है। जब इसमें पथरी बन जाती है या अन्य समस्याएं होती हैं, तो बाइल का प्रवाह बाधित हो सकता है, जिससे पीलिया होता है।

Liver की बीमारियां

जिगर की विभिन्न बीमारियां, जैसे सिरोसिस, जिगर का कैंसर, और अन्य जिगर संबंधी समस्याएं, पीलिया का कारण बन सकती हैं। ये बीमारियां जिगर की कार्यक्षमता को कम कर देती हैं, जिससे बिलीरुबिन का प्रोसेसिंग प्रभावित होता है।

अल्कोहल का अधिक सेवन

अल्कोहल का अधिक सेवन जिगर को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे अल्कोहलिक हेपेटाइटिस, सिरोसिस, और अन्य जिगर संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। ये समस्याएं बिलीरुबिन के निपटान को प्रभावित करती हैं, जिससे पीलिया हो सकता है।

कुछ दवाइयों के सेवन से

कुछ दवाइयां जिगर पर प्रभाव डाल सकती हैं और उसकी कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकती हैं। इस कारण, बिलीरुबिन का स्तर बढ़ सकता है और पीलिया हो सकता है।

जन्मजात पीलिया

नवजात शिशुओं में पीलिया होना सामान्य है, जिसे नवजात पीलिया कहा जाता है। यह स्थिति तब होती है जब नवजात के जिगर की कार्यक्षमता पूरी तरह से विकसित नहीं होती है और वह बिलीरुबिन को पूरी तरह से प्रोसेस नहीं कर पाता है।

पीलिया के लक्षण

त्वचा और आँखों का पीला होना

पीलिया का सबसे स्पष्ट लक्षण त्वचा और आँखों का पीला होना है। यह पीलापन तब उत्पन्न होता है जब रक्त में बिलीरुबिन का स्तर बढ़ जाता है और यह त्वचा और आँखों में जमा हो जाता है।

मूत्र का गहरा रंग

पीलिया में मूत्र का रंग गहरा पीला या नारंगी हो जाता है। यह इसलिए होता है क्योंकि अतिरिक्त बिलीरुबिन मूत्र में प्रवेश करता है।

मल का हल्का रंग

पीलिया में मल का रंग हल्का या सफेद हो सकता है। यह इसलिए होता है क्योंकि बिलीरुबिन की कमी के कारण बाइल का उत्पादन कम हो जाता है, जो मल को उसका सामान्य रंग देता है।

थकान और कमजोरी

पीलिया के मरीजों में अक्सर थकान और कमजोरी महसूस होती है। यह इसलिए होता है क्योंकि जिगर की कार्यक्षमता कम हो जाती है और शरीर को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाते।

पेट में दर्द और सूजन

पीलिया के कारण पेट में दर्द और सूजन हो सकती है। यह इसलिए होता है क्योंकि जिगर और गॉलब्लैडर में सूजन हो सकती है, जिससे पेट में दर्द होता है।

खुजली

कई पीलिया के मरीजों को त्वचा में खुजली भी होती है। यह इसलिए होता है क्योंकि बिलीरुबिन त्वचा में जमा हो जाता है और जलन उत्पन्न करता है।

पीलिया का निदान

शारीरिक परीक्षण

डॉक्टर सबसे पहले शारीरिक परीक्षण करते हैं, जिसमें वे त्वचा और आँखों के रंग की जांच करते हैं। इसके अलावा, वे पेट की सूजन और दर्द की भी जांच करते हैं।

रक्त परीक्षण

रक्त परीक्षण के माध्यम से बिलीरुबिन का स्तर मापा जाता है। इसके अलावा, विभिन्न एंजाइमों और प्रोटीनों के स्तर की जांच भी की जाती है जो जिगर की कार्यक्षमता को दर्शाते हैं।

Imaging Test

अल्ट्रासाउंड, CT स्कैन, और MRI जैसी इमेजिंग टेस्ट्स के माध्यम से जिगर, गॉलब्लैडर, और बाइल डक्ट्स की स्थिति की जांच की जाती है। इन टेस्ट्स से पता चलता है कि कहीं पथरी, ट्यूमर, या अन्य समस्याएं तो नहीं हैं।

Biopsy

कभी-कभी जिगर की बायोप्सी की जाती है ताकि जिगर की स्थिति का सही पता चल सके। इसमें एक छोटी सी सुई द्वारा जिगर का एक नमूना लिया जाता है और उसे माइक्रोस्कोप के नीचे जांचा जाता है।

पीलिया के उपचार के विकल्प

दवाइयों द्वारा उपचार

पीलिया के कारण के आधार पर डॉक्टर विभिन्न दवाइयाँ देते हैं। अगर पीलिया का कारण वायरल हेपेटाइटिस है, तो एंटीवायरल दवाइयाँ दी जाती हैं। अगर पीलिया का कारण जिगर की अन्य बीमारियां हैं, तो उनका उपचार किया जाता है।

Surgery

कुछ मामलों में, जैसे गॉलब्लैडर की समस्याओं में, सर्जरी की आवश्यकता होती है। गॉलब्लैडर में पथरी या ट्यूमर को हटाने के लिए सर्जरी की जाती है। इसके अलावा, जिगर के ट्यूमर को हटाने के लिए भी सर्जरी की जाती है।

Lifestyle में बदलाव

लाइफस्टाइल में बदलाव, जैसे आहार में सुधार और व्यायाम, पीलिया के उपचार में मदद कर सकते हैं। संतुलित आहार और नियमित व्यायाम से जिगर की कार्यक्षमता में सुधार होता है और पीलिया के लक्षण कम होते हैं।

आयुर्वेदिक उपचार

आयुर्वेद में भी पीलिया के उपचार के लिए कई उपाय बताए गए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख उपाय हैं:

  • हल्दी और गुड़ का मिश्रण: हल्दी और गुड़ को मिलाकर रोजाना सुबह सेवन करने से पीलिया में लाभ होता है।
  • आंवला: आंवला का सेवन करने से जिगर की कार्यक्षमता में सुधार होता है और पीलिया के लक्षण कम होते हैं।
  • गिलोय: गिलोय के रस का सेवन करने से पीलिया में राहत मिलती है।
घरेलू उपचार और बचाव के तरीके
स्वस्थ आहार

स्वस्थ और संतुलित आहार पीलिया से बचने और इसके उपचार में सहायक होता है। आहार में ताजे फल, सब्जियाँ, और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ शामिल करें।

जल का सेवन बढ़ाना

पर्याप्त जल का सेवन करना पीलिया के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। जल शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है और जिगर की कार्यक्षमता में सुधार करता है।

शराब से परहेज

शराब का सेवन जिगर को नुकसान पहुंचाता है, इसलिए इससे बचना चाहिए। शराब के सेवन से जिगर की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है, जिससे पीलिया हो सकता है।

नियमित व्यायाम

नियमित व्यायाम से जिगर की कार्यक्षमता में सुधार होता है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है। व्यायाम करने से पीलिया के लक्षण कम होते हैं और स्वास्थ्य में सुधार होता है।

पर्याप्त आराम

पीलिया के उपचार के दौरान पर्याप्त आराम करना बहुत महत्वपूर्ण है। आराम से शरीर को समय मिलता है जिससे वह अपने आप को पुनर्निर्माण कर सके और बीमारी से लड़ सके।

हर्बल चाय का सेवन

कुछ हर्बल चाय, जैसे कि ग्रीन टी और कैमोमाइल टी, जिगर की कार्यक्षमता को सुधारने में मदद कर सकती हैं। ये चाय एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती हैं जो शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती हैं।

नींबू का सेवन

नींबू का सेवन करने से पीलिया के लक्षणों में सुधार होता है। नींबू में विटामिन C होता है जो जिगर की कार्यक्षमता को सुधारता है और बिलीरुबिन के स्तर को कम करता है।

ताजे फल और सब्जियाँ

ताजे फल और सब्जियाँ, विशेषकर गाजर, चुकंदर, और पपीता, जिगर की कार्यक्षमता में सुधार करते हैं और पीलिया के लक्षणों को कम करते हैं।

पीलिया से बचने के उपाय

टीकाकरण

हेपेटाइटिस के खिलाफ टीकाकरण पीलिया से बचने का एक प्रभावी तरीका है। हेपेटाइटिस A और B के टीके उपलब्ध हैं जो संक्रमण से बचाव करते हैं।

स्वच्छता बनाए रखना

स्वच्छता बनाए रखना, विशेषकर खाने-पीने की चीजों की स्वच्छता, पीलिया से बचाव में मदद करता है। हाथ धोने की आदत और स्वच्छ पानी का सेवन पीलिया से बचने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

सुरक्षित खानपान

सुरक्षित और स्वस्थ खानपान पीलिया से बचने का एक और तरीका है। दूषित भोजन और पानी से बचें और ताजे, स्वच्छ खाद्य पदार्थों का सेवन करें।

शराब से परहेज

शराब का सेवन कम करने या उससे पूरी तरह से बचने से जिगर की बीमारियों का खतरा कम होता है और पीलिया से बचाव होता है।

नियमित स्वास्थ्य जांच

नियमित स्वास्थ्य जांच से जिगर की समस्याओं का प्रारंभिक अवस्था में ही पता लगाया जा सकता है, जिससे पीलिया का खतरा कम हो जाता है।

FAQs
1. पीलिया का सबसे सामान्य कारण क्या है?

वायरल हेपेटाइटिस पीलिया का सबसे सामान्य कारण है। हेपेटाइटिस वायरस जिगर को नुकसान पहुँचाता है, जिससे बिलीरुबिन का स्तर बढ़ जाता है और पीलिया होता है।

2. क्या पीलिया एक संक्रामक बीमारी है?

पीलिया खुद एक संक्रामक बीमारी नहीं है, लेकिन इसे उत्पन्न करने वाले कारण, जैसे वायरल हेपेटाइटिस, संक्रामक हो सकते हैं। इसलिए सावधानी बरतना आवश्यक है।

3. पीलिया के इलाज के दौरान क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?

पीलिया के इलाज के दौरान स्वस्थ आहार, जल का पर्याप्त सेवन, और आराम की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, शराब और तले-भुने खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए।

4. पीलिया के इलाज में कितना समय लगता है?

यह पीलिया के कारण और मरीज की स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है। कुछ मामलों में इलाज कुछ हफ्तों में हो जाता है, जबकि कुछ मामलों में ज्यादा समय लग सकता है।

5. क्या बच्चों में पीलिया होना सामान्य है?

हाँ, नवजात शिशुओं में पीलिया होना सामान्य है, जिसे नवजात पीलिया कहा जाता है। यह स्थिति आमतौर पर जन्म के कुछ दिनों बाद होती है और कुछ हफ्तों में ठीक हो जाती है।

पीलिया एक गंभीर लेकिन इलाज योग्य स्थिति है। इसके कारण, लक्षण और उपचार को समझकर हम इसे प्रभावी रूप से संभाल सकते हैं। स्वस्थ जीवनशैली और समय पर चिकित्सा सहायता से पीलिया को रोका और इसका इलाज किया जा सकता है। पीलिया से बचने के लिए स्वच्छता, टीकाकरण, और सुरक्षित खानपान को प्राथमिकता दें।

पीलिया के लक्षणों को नजरअंदाज न करें और समय पर चिकित्सकीय सलाह लें। स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, और पर्याप्त आराम से पीलिया के इलाज में सहायता मिलती है। इसके अलावा, शराब से परहेज और हर्बल चाय का सेवन भी पीलिया के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।

 

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