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पित्त की थैली में पथरी: लक्षण, कारण, और उपचार

Hindi
5 min read
Naimish Mishra
Written by
Naimish Mishra
Posted on
December 14, 2025
pitt-ki-thaili

पित्त की थैली में पथरी (Gallbladder Stone) एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या है जो लाखों लोगों को प्रभावित करती है। यह समस्या तब उत्पन्न होती है जब पित्त की थैली में पित्त (Bile) में ठोस कण बन जाते हैं। पित्ताशय में पथरी की समस्या के कारण व्यक्ति को पेट में दर्द, उल्टी, और अन्य असुविधाएं हो सकती हैं।

पित्त की थैली यकृत के नीचे स्थित एक छोटा अंग है जो पित्त को संग्रहित और सघन करती है। पित्त, वसा के पाचन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब पित्त में कोलेस्ट्रॉल, बिलीरुबिन, या अन्य पदार्थ अधिक मात्रा में जमा हो जाते हैं, तो ये ठोस रूप धारण कर लेते हैं और पथरी का निर्माण करते हैं।

पित्त की थैली में पथरी के प्रकार

पित्त की थैली में पथरी के दो मुख्य प्रकार होते हैं:

  • कोलेस्ट्रॉल पथरी: यह पथरी पित्त में अधिक कोलेस्ट्रॉल के कारण बनती है और आमतौर पर पीले-हरे रंग की होती है।
  • पिगमेंट पथरी: यह पथरी पित्त में बिलीरुबिन की अधिक मात्रा के कारण बनती है और काले या भूरे रंग की होती है।

पित्त की थैली में पथरी के लक्षण

पित्त की थैली में पथरी के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:

  • तेज पेट दर्द: विशेष रूप से ऊपरी दाहिनी ओर। यह दर्द अचानक शुरू होता है और कुछ घंटों तक रह सकता है।
  • उल्टी और मतली: भोजन के बाद बढ़ सकती है।
  • पीली त्वचा और आंखें: जॉन्डिस का संकेत।
  • गैस और डकार: पाचन समस्याओं के कारण।
  • भूख में कमी: खाने की इच्छा कम होना।
  • पेट में भारीपन: विशेषकर तैलीय या भारी भोजन के बाद।

पित्त की थैली में पथरी के कारण

पित्त की थैली में पथरी के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • अधिक कोलेस्ट्रॉल: पित्त में उच्च मात्रा में कोलेस्ट्रॉल का होना।
  • अधिक बिलीरुबिन: यकृत में अधिक बिलीरुबिन का उत्पादन।
  • पित्ताशय का पूरी तरह से खाली न होना: पित्ताशय में जमा पित्त का पूरी तरह से बाहर न निकलना।
  • आनुवंशिकता: परिवार में पथरी की समस्या का इतिहास।
  • वजन में तेजी से कमी: अचानक वजन घटने से पित्ताशय में पथरी बनने का खतरा बढ़ जाता है।
  • महिलाओं में हार्मोनल परिवर्तन: गर्भावस्था, हार्मोनल थेरेपी, और गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन।

पित्त की थैली में पथरी का निदान

पित्त की थैली में पथरी का निदान करने के लिए विभिन्न परीक्षण किए जा सकते हैं:

  • अल्ट्रासाउंड: पित्ताशय में पथरी का पता लगाने के लिए सबसे आम और प्रभावी परीक्षण।
  • सीटी स्कैन: पेट की विस्तृत तस्वीरें लेने के लिए।
  • एमआरआई: पित्ताशय और पित्त नलिकाओं की विस्तृत जानकारी के लिए।
  • एचआईडीए स्कैन: पित्त की प्रवाह का परीक्षण करने के लिए।
  • रक्त परीक्षण: संक्रमण या जॉन्डिस की स्थिति का पता लगाने के लिए।

पित्त की थैली में पथरी का उपचार

पित्त की थैली में पथरी का उपचार विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है:

  • दवाएं: कोलेस्ट्रॉल पथरी को घुलाने के लिए।
  • लिथोट्रिप्सी: ध्वनि तरंगों के माध्यम से पथरी को तोड़ना।
  • ईआरसीपी: पित्त नलिकाओं से पथरी निकालने के लिए।
  • सर्जरी: पित्ताशय को हटाने के लिए (कोलेसिस्टेक्टोमी)। यह सबसे आम और प्रभावी उपचार है।

दवाओं द्वारा उपचार

दवाओं द्वारा उपचार उन मरीजों के लिए उपयुक्त है जिनकी पथरी छोटी होती है और जिनमें गंभीर लक्षण नहीं होते। कोलेस्ट्रॉल पथरी को घुलाने के लिए आमतौर पर Ursodiol और Chenodiol दवाओं का उपयोग किया जाता है। यह उपचार कई महीनों या सालों तक चल सकता है, और पथरी के फिर से बनने का खतरा बना रहता है।

लिथोट्रिप्सी

लिथोट्रिप्सी एक गैर-सर्जिकल उपचार है जिसमें ध्वनि तरंगों का उपयोग करके पथरी को छोटे टुकड़ों में तोड़ा जाता है, जो फिर पाचन तंत्र के माध्यम से बाहर निकल जाते हैं। यह उपचार विकल्प केवल उन मरीजों के लिए उपयुक्त है जिनकी पथरी की संख्या कम होती है और पथरी का आकार छोटा होता है।

ईआरसीपी (एंडोस्कोपिक रेट्रोग्रेड कोलेंजियोपैंक्रिएटोग्राफी)

ईआरसीपी एक विशेष प्रक्रिया है जिसमें एक लंबी, लचीली ट्यूब को मुंह के माध्यम से पित्त नलिकाओं तक पहुंचाया जाता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से डॉक्टर पथरी को निकाल सकते हैं या पित्त नलिकाओं को खोल सकते हैं। यह प्रक्रिया उन मरीजों के लिए उपयुक्त है जिनकी पथरी पित्त नलिकाओं में फंसी होती है।

सर्जरी (कोलेसिस्टेक्टोमी)

कोलेसिस्टेक्टोमी पित्ताशय को हटाने की सर्जरी है और पित्त की थैली में पथरी का सबसे आम और प्रभावी उपचार है। यह सर्जरी दो प्रकार की होती है:

  • लैप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टोमी: इसमें छोटे चीरे लगाकर एक कैमरे और उपकरणों की मदद से पित्ताशय को हटाया जाता है। यह प्रक्रिया कम दर्दनाक होती है और जल्दी ठीक होती है।
  • ओपन कोलेसिस्टेक्टोमी: इसमें पेट में एक बड़ा चीरा लगाकर पित्ताशय को हटाया जाता है। यह प्रक्रिया उन मरीजों के लिए होती है जिनमें जटिलताएं होती हैं या लैप्रोस्कोपिक सर्जरी संभव नहीं होती।

सर्जरी के बाद की देखभाल

सर्जरी के बाद की देखभाल महत्वपूर्ण होती है ताकि जल्दी और सुरक्षित रूप से स्वस्थ हो सकें:

  • विश्राम: शरीर को पूरी तरह से ठीक होने का समय देना।
  • हल्का व्यायाम: धीरे-धीरे सक्रियता बढ़ाना।
  • नियमित जांच: डॉक्टर के निर्देशानुसार परीक्षण करवाना।
  • संतुलित आहार: आहार में बदलाव करके स्वस्थ भोजन करना।

पित्त की थैली की पथरी की रोकथाम

पित्त की थैली में पथरी से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:

  • संतुलित आहार: वसा और कोलेस्ट्रॉल की कम मात्रा।
  • नियमित व्यायाम: वजन को नियंत्रित रखने के लिए।
  • वजन को संतुलित रखना: तेजी से वजन घटाने से बचना।
  • पर्याप्त जल का सेवन: शरीर में तरल पदार्थों का सही संतुलन बनाए रखना।

पित्त की थैली में पथरी के साथ जीवनशैली समायोजन

पित्त की थैली में पथरी की समस्या से ग्रस्त होने पर जीवनशैली में कुछ समायोजन करना महत्वपूर्ण है:

  • स्वस्थ आहार: अधिक फाइबर और कम वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन।
  • धूम्रपान से बचना: धूम्रपान से पित्ताशय की समस्याएं बढ़ सकती हैं।
  • अल्कोहल का सेवन सीमित करना: अल्कोहल से पित्ताशय में पथरी का जोखिम बढ़ता है।
पित्त की थैली में पथरी के घरेलू उपाय

कुछ घरेलू उपाय भी पित्त की थैली में पथरी के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं:

  • सेब का सिरका: पथरी को घुलाने के लिए।
  • नींबू का रस: पित्त के प्रवाह को सुधारने के लिए।
  • हल्दी: सूजन और दर्द को कम करने के लिए।
  • नारियल पानी: शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए।
आयुर्वेद और पित्त की थैली में पथरी

आयुर्वेद में पित्त की थैली में पथरी के उपचार के कई प्राकृतिक उपाय होते हैं:

  • भृंगराज: पित्ताशय की सफाई के लिए।
  • त्रिफला चूर्ण: पाचन को सुधारने और पित्ताशय की समस्याओं को कम करने के लिए।
  • गोखरू: पथरी को घुलाने के लिए।
  • धनिया: पाचन को सुधारने और पित्ताशय की समस्याओं को कम करने के लिए।
पित्त की थैली में पथरी के साथ जीना

पित्त की थैली में पथरी की समस्या के साथ जीना मुश्किल हो सकता है, लेकिन कुछ सावधानियां और जीवनशैली में बदलाव से इसे नियंत्रित किया जा सकता है:

  • नियमित चिकित्सा परामर्श: नियमित जांच और डॉक्टर के परामर्श के अनुसार उपचार।
  • स्वस्थ भोजन: ताजे फलों, सब्जियों, और साबुत अनाज का सेवन।
  • व्यायाम: नियमित व्यायाम से वजन नियंत्रित रखना।

पित्त की थैली में पथरी एक सामान्य लेकिन गंभीर समस्या हो सकती है, जिसे समय पर पहचान और उपचार की आवश्यकता होती है। स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार, और नियमित जांच से पित्त की थैली में पथरी से बचा जा सकता है। यदि आपको पित्त की थैली में पथरी के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और उचित उपचार करवाएं।

FAQ’s

Q.1 – पित्त की थैली में पथरी कैसे बनती है?

पित्त की थैली में पथरी तब बनती है जब पित्त में कोलेस्ट्रॉल, बिलीरुबिन, या अन्य पदार्थ जमा होकर ठोस रूप धारण कर लेते हैं।

Q.2 – पित्त की थैली में पथरी का इलाज कैसे होता है?

पित्त की थैली में पथरी का इलाज दवाओं, सर्जरी, ईआरसीपी और लिथोट्रिप्सी के माध्यम से किया जा सकता है।

Q.3 – क्या पित्त की थैली में पथरी का इलाज बिना सर्जरी के संभव है?

हां, कुछ मामलों में दवाओं और लिथोट्रिप्सी के माध्यम से पित्त की थैली में पथरी का इलाज संभव है।

Q.-4 – क्या पित्त की थैली में पथरी का फिर से होना संभव है?

हां, अगर जीवनशैली और आहार में बदलाव नहीं किया जाता है तो पित्त की थैली में पथरी का फिर से होना संभव है।

Q.5 – पित्त की थैली में पथरी से बचने के लिए क्या करना चाहिए?

संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और वजन को संतुलित रखना पित्त की थैली में पथरी से बचने के उपाय हैं।

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