डायबिटीज आज की सबसे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सर्केडियन रिदम यानी शरीर की जैविक घड़ी को संतुलित करके इसे बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है? शोधकर्ताओं का मानना है कि सही समय पर खाने, सोने और व्यायाम करने से न केवल ब्लड शुगर का स्तर बेहतर होता है बल्कि इंसुलिन संवेदनशीलता भी बढ़ती है।
सर्केडियन रिदम क्या है?
सर्केडियन रिदम, जिसे जैविक घड़ी भी कहा जाता है, 24 घंटे का चक्र है जो शरीर के विभिन्न शारीरिक कार्यों को नियंत्रित करता है। यह घड़ी मस्तिष्क के हाइपोथैलामस हिस्से में स्थित सुप्राकायस्मैटिक न्यूक्लियस (SCN) द्वारा संचालित होती है। यह रिदम सोने-जागने के चक्र, शरीर के तापमान, हार्मोन स्राव, और मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करता है।
जब यह रिदम बाधित होती है, तो मेटाबॉलिज्म पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे डायबिटीज और अन्य मेटाबॉलिक बीमारियों का खतरा बढ़ता है।
डायबिटीज और सर्केडियन रिदम का संबंध
डायबिटीज मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है: टाइप 1 और टाइप 2। टाइप 2 डायबिटीज में इंसुलिन प्रतिरोध मुख्य समस्या है। सर्केडियन रिदम का प्रभाव मेटाबॉलिज्म और इंसुलिन स्राव पर पड़ता है। यदि यह रिदम बाधित हो, तो ब्लड शुगर का स्तर असंतुलित हो सकता है।
शोध बताते हैं कि रात में देर तक जागने और अनियमित भोजन चक्र रखने वाले व्यक्तियों में डायबिटीज का खतरा अधिक होता है।
सर्केडियन रिदम को प्रभावित करने वाले कारक
- प्रकाश का संपर्क: दिन के समय में प्राकृतिक प्रकाश सर्केडियन रिदम को स्थिर रखता है।
- भोजन का समय: भोजन का सही समय रिदम को संतुलित रखने में मदद करता है।
- नींद का पैटर्न: पर्याप्त और गहरी नींद जरूरी है।
- व्यायाम: नियमित व्यायाम जैविक घड़ी को मजबूत बनाता है।
डायबिटीज नियंत्रण में सर्केडियन रिदम का महत्व
- भोजन का समय निर्धारण: सुबह का नाश्ता और रात का खाना सही समय पर करना महत्वपूर्ण है।
- इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ाना: दिन के समय इंसुलिन बेहतर तरीके से काम करता है।
- मेटाबॉलिज्म को संतुलित करना: रात में देर से भोजन करने से मेटाबॉलिक कार्य बिगड़ सकते हैं।
सर्केडियन रिदम को सुधारने के तरीके
1. समय पर सोने की आदत डालें
रात में 7-8 घंटे की गहरी नींद सर्केडियन रिदम को स्थिर करती है। सोने और जागने का समय निश्चित करें।
2. भोजन के समय को व्यवस्थित करें
- नाश्ता दिन की शुरुआत में करें।
- रात का खाना सोने से 3-4 घंटे पहले लें।
- दिन में हल्का और पौष्टिक भोजन करें।
3. सुबह की धूप का आनंद लें
सुबह की धूप में 15-20 मिनट का समय बिताएं। यह जैविक घड़ी को रीसेट करने में मदद करता है।
4. स्क्रीन टाइम को सीमित करें
रात में मोबाइल या लैपटॉप का उपयोग कम करें। इससे मेलाटोनिन हार्मोन स्राव पर प्रभाव पड़ता है।
5. नियमित व्यायाम करें
सुबह के समय हल्का व्यायाम या योग सर्केडियन रिदम को स्थिर करने में सहायक है।
सर्केडियन रिदम को बेहतर बनाने में पोषण की भूमिका
पौष्टिक आहार चुनें
- कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले भोजन करें।
- ताजे फल, सब्जियां और साबुत अनाज का सेवन करें।
- जंक फूड और चीनी से बचें।
हाइड्रेटेड रहें
पानी की कमी से मेटाबॉलिज्म प्रभावित हो सकता है। दिनभर पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
कैफीन और शराब का सेवन कम करें
कैफीन और शराब सर्केडियन रिदम को बाधित कर सकते हैं।
डायबिटीज मरीजों के लिए विशेष टिप्स
- रात में 10 बजे से पहले सोने की आदत डालें।
- दिन में कम से कम 30 मिनट टहलें।
- नींद को प्रभावित करने वाले कैफीन युक्त पेय से बचें।
- मानसिक तनाव को कम करने के लिए ध्यान या प्राणायाम करें।
सर्केडियन रिदम और मधुमेह पर शोध
कई अध्ययन बताते हैं कि सर्केडियन रिदम के असंतुलन के कारण टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है। नियमित रिदम बनाए रखने से इंसुलिन प्रतिरोध को कम किया जा सकता है।
2019 के एक अध्ययन में पाया गया कि रात में अनियमित भोजन करने वालों में ब्लड शुगर का स्तर अधिक असंतुलित होता है।
सर्केडियन रिदम के फायदे
- मेटाबॉलिज्म का सुधार
- ब्लड शुगर का बेहतर नियंत्रण
- ऊर्जा का स्तर बढ़ाना
- हार्मोनल संतुलन
FAQs
Q.1 – सर्केडियन रिदम को कैसे स्थिर रखा जा सकता है?
समय पर सोना, भोजन करना और नियमित व्यायाम सर्केडियन रिदम को स्थिर रखने में मदद करता है।
Q.2 – क्या सर्केडियन रिदम डायबिटीज पर प्रभाव डालता है?
हां, सर्केडियन रिदम मेटाबॉलिज्म और इंसुलिन संवेदनशीलता को नियंत्रित करता है।
Q.3 – क्या स्क्रीन टाइम सर्केडियन रिदम को बाधित करता है?
जी हां, रात में स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी जैविक घड़ी को बाधित कर सकती है।
Q.4 – भोजन का समय सर्केडियन रिदम को कैसे प्रभावित करता है?
नियमित समय पर भोजन करने से सर्केडियन रिदम स्थिर रहती है और मेटाबॉलिज्म सही रहता है।
Q.5 – क्या रात में व्यायाम करना सही है?
रात में व्यायाम करने से नींद पर असर पड़ सकता है। सुबह या शाम के समय व्यायाम करना बेहतर है।