टाइप 2 डायबिटीज एक गंभीर स्थिति है जो लाखों लोगों को प्रभावित करती है। इसे जीवनशैली और खान-पान में बदलाव से नियंत्रित किया जा सकता है। टाइप 2 डायबिटीज के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे, जिसमें इसके लक्षण, कारण, और इलाज के तरीके शामिल हैं।
टाइप 2 डायबिटीज क्या है?
टाइप 2 डायबिटीज एक प्रकार का मधुमेह है जिसमें शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता या इंसुलिन का सही उपयोग नहीं कर पाता। इंसुलिन एक हार्मोन है जो शरीर में शुगर को नियंत्रित करता है। जब इंसुलिन सही तरीके से काम नहीं करता, तो रक्त में शुगर का स्तर बढ़ जाता है, जिससे विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण
टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं। यहां कुछ आम लक्षण दिए गए हैं:
अत्यधिक प्यास लगना
टाइप 2 डायबिटीज में शरीर अधिक प्यास महसूस करता है क्योंकि उच्च रक्त शर्करा की मात्रा शरीर में पानी की कमी पैदा कर सकती है।
बार-बार पेशाब आना
रक्त में शुगर की अधिक मात्रा होने के कारण किडनी अधिक शुगर को बाहर निकालने की कोशिश करती है, जिससे बार-बार पेशाब आता है।
अत्यधिक भूख लगना
भले ही आप नियमित रूप से भोजन कर रहे हों, लेकिन टाइप 2 डायबिटीज में अधिक भूख लगती है। यह इसलिए होता है क्योंकि शुगर का उपयोग सही तरीके से नहीं हो पाता।
थकान महसूस होना
शरीर में शुगर की सही मात्रा न होने के कारण थकान और कमजोरी महसूस होती है।
वजन कम होना
बिना किसी कारण के वजन कम होना टाइप 2 डायबिटीज का संकेत हो सकता है।
धुंधला दृष्टि
उच्च रक्त शर्करा के स्तर के कारण आंखों की रेटिना पर असर पड़ सकता है, जिससे दृष्टि धुंधली हो सकती है।
घाव भरने में देरी
टाइप 2 डायबिटीज में घाव या चोट जल्दी नहीं भरते हैं।
त्वचा में संक्रमण
त्वचा में संक्रमण और खुजली टाइप 2 डायबिटीज के सामान्य लक्षण हो सकते हैं।
टाइप 2 डायबिटीज के कारण
टाइप 2 डायबिटीज के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें अनुवांशिक और पर्यावरणीय कारक शामिल हैं। यहां कुछ मुख्य कारण दिए गए हैं:
आनुवंशिक कारक
यदि आपके परिवार में किसी को डायबिटीज है, तो आपके इसके होने की संभावना अधिक होती है।
अधिक वजन और मोटापा
अधिक वजन और मोटापा टाइप 2 डायबिटीज के प्रमुख कारणों में से एक हैं। विशेषकर पेट की चर्बी डायबिटीज के जोखिम को बढ़ाती है।
खान-पान की आदतें
अस्वस्थ भोजन, जिसमें उच्च शुगर और संतृप्त वसा होती है, डायबिटीज के जोखिम को बढ़ा सकता है।
शारीरिक निष्क्रियता
शारीरिक सक्रियता की कमी से शरीर में शुगर का स्तर नियंत्रित नहीं हो पाता, जिससे डायबिटीज का खतरा बढ़ता है।
उम्र
उम्र बढ़ने के साथ डायबिटीज का जोखिम भी बढ़ता है। विशेषकर 45 वर्ष की आयु के बाद यह जोखिम अधिक होता है।
हाई ब्लड प्रेशर
हाई ब्लड प्रेशर और टाइप 2 डायबिटीज का आपस में गहरा संबंध है। उच्च रक्तचाप डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकता है।
अधिक कोलेस्ट्रॉल
उच्च कोलेस्ट्रॉल लेवल भी टाइप 2 डायबिटीज का कारण बन सकता है।
टाइप 2 डायबिटीज का निदान
टाइप 2 डायबिटीज का निदान विभिन्न परीक्षणों के माध्यम से किया जा सकता है। यहां कुछ आम परीक्षण दिए गए हैं:
फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट
इस परीक्षण में खाली पेट रक्त शुगर की जांच की जाती है।
ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट
इस परीक्षण में पहले शुगर युक्त पेय दिया जाता है और फिर कुछ घंटों बाद रक्त शुगर की जांच की जाती है।
हेमोग्लोबिन ए1सी टेस्ट
यह परीक्षण पिछले तीन महीनों की औसत रक्त शुगर की मात्रा को मापता है।
रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट
इस परीक्षण में किसी भी समय रक्त शुगर की जांच की जाती है।
टाइप 2 डायबिटीज का इलाज
टाइप 2 डायबिटीज का इलाज कई तरीकों से किया जा सकता है, जिनमें जीवनशैली में बदलाव, दवाइयां और इंसुलिन शामिल हैं। यहां कुछ मुख्य उपाय दिए गए हैं:
जीवनशैली में बदलाव
स्वस्थ भोजन
स्वस्थ और संतुलित भोजन डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसमें फल, सब्जियां, साबुत अनाज, और कम वसा वाले प्रोटीन शामिल होते हैं।
नियमित व्यायाम
नियमित व्यायाम शारीरिक सक्रियता को बढ़ाता है और शुगर की मात्रा को नियंत्रित करता है। प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट व्यायाम करना चाहिए।
वजन नियंत्रण
स्वस्थ वजन बनाए रखने से डायबिटीज के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। वजन घटाने के लिए कैलोरी की मात्रा को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है।
दवाइयां
मेटफोर्मिन
यह एक आम दवाई है जो लीवर में शुगर के उत्पादन को कम करती है और शरीर की इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाती है।
सल्फोनिलयूरास
यह दवाइयां शरीर को अधिक इंसुलिन बनाने में मदद करती हैं।
मेज्लिटिनाइड्स
यह दवाइयां तेजी से और कम समय के लिए इंसुलिन के स्तर को बढ़ाती हैं।
डीपीपी-4 इनहिबिटर्स
यह दवाइयां शुगर के स्तर को कम करने में मदद करती हैं।
इंसुलिन थेरेपी
कई मामलों में इंसुलिन थेरेपी की आवश्यकता होती है। इंसुलिन शरीर में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करने में मदद करता है।
टाइप 2 डायबिटीज और आहार
टाइप 2 डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए आहार का महत्वपूर्ण योगदान होता है। यहां कुछ आहार संबंधी सुझाव दिए गए हैं:
फलों और सब्जियों का सेवन बढ़ाएं
फलों और सब्जियों में अधिक मात्रा में फाइबर और आवश्यक पोषक तत्व होते हैं, जो रक्त शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
साबुत अनाज का सेवन करें
साबुत अनाज में फाइबर और पोषक तत्व अधिक होते हैं, जो शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
प्रोटीन का सेवन बढ़ाएं
प्रोटीन का सेवन बढ़ाने से भूख कम होती है और शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है। कम वसा वाले प्रोटीन स्रोतों का चयन करें।
शुगर और संतृप्त वसा से बचें
शुगर और संतृप्त वसा का सेवन कम करें, क्योंकि यह रक्त शुगर के स्तर को बढ़ा सकते हैं।
नियमित भोजन करें
नियमित समय पर भोजन करना महत्वपूर्ण है। भोजन छोड़ना या अत्यधिक खाना खाने से शुगर का स्तर अस्थिर हो सकता है।
टाइप 2 डायबिटीज और व्यायाम
टाइप 2 डायबिटीज के प्रबंधन में व्यायाम का महत्वपूर्ण योगदान होता है। यहां कुछ व्यायाम संबंधी सुझाव दिए गए हैं:
एरोबिक व्यायाम
एरोबिक व्यायाम जैसे चलना, दौड़ना, तैराकी, और साइक्लिंग रक्त शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
वेट ट्रेनिंग
वेट ट्रेनिंग मांसपेशियों को मजबूत करती है और इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाती है।
योग और ध्यान
योग और ध्यान मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं और शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाएं
दैनिक जीवन में शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाएं, जैसे सीढ़ियाँ चढ़ना, घर के काम करना, और गार्डनिंग।
टाइप 2 डायबिटीज और मानसिक स्वास्थ्य
टाइप 2 डायबिटीज का मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ सकता है। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:
स्ट्रेस मैनेजमेंट
स्ट्रेस को नियंत्रित करने के लिए योग, ध्यान, और श्वास व्यायाम का सहारा लें।
परिवार और दोस्तों का समर्थन
परिवार और दोस्तों का समर्थन मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।
मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल की सहायता लें
यदि मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक प्रभाव पड़ रहा हो, तो किसी मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लें।
टाइप 2 डायबिटीज के साथ जीवन
टाइप 2 डायबिटीज के साथ जीवन जीना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन सही उपायों से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:
स्वास्थ्य जांच
नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच करवाएं और अपने डॉक्टर के साथ संपर्क में रहें।
शुगर का स्तर मॉनिटर करें
नियमित रूप से शुगर का स्तर जांचें और इसे नियंत्रित रखने के उपाय करें।
दवाइयों का नियमित सेवन
डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाइयों का नियमित सेवन करें।
स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं
स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, जिसमें स्वस्थ भोजन, नियमित व्यायाम, और तनाव प्रबंधन शामिल हो।
टाइप 2 डायबिटीज से जुड़े मिथक और सच
टाइप 2 डायबिटीज के बारे में कई मिथक प्रचलित हैं। यहां कुछ आम मिथकों का सच बताया गया है:
मिथक: डायबिटीज केवल अधिक वजन वाले लोगों को होता है
सच: डायबिटीज किसी को भी हो सकता है, चाहे उनका वजन सामान्य हो या अधिक।
मिथक: शुगर खाने से डायबिटीज होता है
सच: शुगर खाने से डायबिटीज नहीं होता, लेकिन अस्वस्थ खान-पान और जीवनशैली से डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है।
मिथक: डायबिटीज का इलाज नहीं हो सकता
सच: डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है और स्वस्थ जीवनशैली से इसे प्रबंधित किया जा सकता है।
टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम कारक
टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम कारक कई हो सकते हैं। यहां कुछ मुख्य जोखिम कारक दिए गए हैं:
आनुवंशिकता
यदि आपके परिवार में किसी को डायबिटीज है, तो आपके इसके होने की संभावना अधिक होती है।
वजन
अधिक वजन और मोटापा डायबिटीज के प्रमुख कारण हैं।
आयु
उम्र बढ़ने के साथ डायबिटीज का जोखिम बढ़ता है।
जातीयता
कुछ जातीय समूहों में डायबिटीज का जोखिम अधिक होता है, जैसे भारतीय, अफ्रीकी, और हिस्पैनिक।
अन्य स्वास्थ्य समस्याएं
उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, और हृदय रोग डायबिटीज के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
टाइप 2 डायबिटीज का प्रभाव
टाइप 2 डायबिटीज का प्रभाव शरीर के विभिन्न हिस्सों पर पड़ सकता है। यहां कुछ मुख्य प्रभाव दिए गए हैं:
हृदय रोग
डायबिटीज हृदय रोग का जोखिम बढ़ा सकता है।
किडनी रोग
डायबिटीज किडनी की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकता है।
न्यूरोपैथी
डायबिटीज तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे न्यूरोपैथी हो सकती है।
रेटिनोपैथी
डायबिटीज आंखों की रेटिना पर प्रभाव डाल सकता है, जिससे दृष्टि संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
पैरों की समस्याएं
डायबिटीज के कारण पैरों में घाव और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
टाइप 2 डायबिटीज का प्रबंधन
टाइप 2 डायबिटीज का प्रबंधन कई तरीकों से किया जा सकता है। यहां कुछ मुख्य प्रबंधन उपाय दिए गए हैं:
स्वस्थ भोजन
स्वस्थ और संतुलित भोजन डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद करता है।
नियमित व्यायाम
नियमित व्यायाम शुगर की मात्रा को नियंत्रित करता है और वजन को नियंत्रित रखने में मदद करता है।
वजन नियंत्रण
स्वास्थ्य वजन बनाए रखने से डायबिटीज के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।
दवाइयों का सेवन
डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाइयों का नियमित सेवन करें।
शुगर का स्तर मॉनिटर करें
नियमित रूप से शुगर का स्तर जांचें और इसे नियंत्रित रखने के उपाय करें।
टाइप 2 डायबिटीज और गर्भावस्था
गर्भावस्था में टाइप 2 डायबिटीज का प्रबंधन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:
स्वस्थ आहार
स्वस्थ और संतुलित आहार लें, जिसमें अधिक फाइबर और पोषक तत्व हों।
नियमित व्यायाम
गर्भावस्था में भी नियमित व्यायाम करें, लेकिन अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
शुगर का स्तर मॉनिटर करें
नियमित रूप से शुगर का स्तर जांचें और इसे नियंत्रित रखें।
दवाइयों का सेवन
डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाइयों का नियमित सेवन करें।
टाइप 2 डायबिटीज और बुजुर्ग
बुजुर्गों में टाइप 2 डायबिटीज का प्रबंधन विशेष ध्यान मांगता है। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:
स्वास्थ्य जांच
नियमित स्वास्थ्य जांच करवाएं और अपने डॉक्टर के संपर्क में रहें।
शुगर का स्तर मॉनिटर करें
नियमित रूप से शुगर का स्तर जांचें और इसे नियंत्रित रखें।
स्वस्थ आहार
स्वस्थ और संतुलित आहार लें, जिसमें अधिक फाइबर और पोषक तत्व हों।
नियमित व्यायाम
नियमित व्यायाम करें, जैसे चलना, योग, और हल्का व्यायाम।
दवाइयों का सेवन
डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाइयों का नियमित सेवन करें।
टाइप 2 डायबिटीज और बच्चों
बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज का प्रबंधन विशेष ध्यान मांगता है। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:
स्वस्थ आहार
बच्चों को स्वस्थ और संतुलित आहार दें, जिसमें अधिक फाइबर और पोषक तत्व हों।
नियमित व्यायाम
बच्चों को नियमित व्यायाम करने के लिए प्रेरित करें।
वजन नियंत्रण
बच्चों का वजन नियंत्रित रखें और उन्हें स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करें।
शुगर का स्तर मॉनिटर करें
नियमित रूप से शुगर का स्तर जांचें और इसे नियंत्रित रखें।
दवाइयों का सेवन
डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाइयों का नियमित सेवन करें।
टाइप 2 डायबिटीज और खान-पान की आदतें
खान-पान की आदतें टाइप 2 डायबिटीज को प्रभावित कर सकती हैं। यहां कुछ खान-पान संबंधी सुझाव दिए गए हैं:
स्वस्थ नाश्ता करें
नाश्ता दिन का सबसे महत्वपूर्ण भोजन है। स्वस्थ नाश्ता करने से शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है।
छोटे-छोटे भोजन करें
दिन में छोटे-छोटे भोजन करें, ताकि शुगर का स्तर स्थिर रहे।
फाइबर युक्त भोजन लें
फाइबर युक्त भोजन लेने से शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है।
शुगर और वसा का सेवन कम करें
शुगर और वसा का सेवन कम करें, क्योंकि यह रक्त शुगर के स्तर को बढ़ा सकते हैं।
पानी अधिक पिएं
पानी अधिक पिएं, ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे और शुगर का स्तर नियंत्रित रहे।
टाइप 2 डायबिटीज के लिए प्राकृतिक उपचार
टाइप 2 डायबिटीज के लिए कई प्राकृतिक उपचार भी उपलब्ध हैं। यहां कुछ प्रमुख प्राकृतिक उपचार दिए गए हैं:
मेथी
मेथी के बीज रक्त शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।
करेला
करेला का सेवन भी डायबिटीज के लिए लाभकारी होता है।
एलोवेरा
एलोवेरा का सेवन शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
दालचीनी
दालचीनी का सेवन भी रक्त शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
जामुन
जामुन और इसके बीज डायबिटीज के लिए लाभकारी होते हैं।
टाइप 2 डायबिटीज और आयुर्वेद
आयुर्वेद में टाइप 2 डायबिटीज का प्रबंधन कई प्राकृतिक और औषधीय तरीकों से किया जाता है। यहां कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक उपचार दिए गए हैं:
त्रिफला
त्रिफला का सेवन शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
गुड़मार
गुड़मार एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जो शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करती है।
आंवला
आंवला का सेवन भी डायबिटीज के लिए लाभकारी होता है।
नीम
नीम के पत्ते और इसके अन्य उत्पाद शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
बेल
बेल का सेवन भी टाइप 2 डायबिटीज के लिए लाभकारी होता है।
टाइप 2 डायबिटीज और होम्योपैथी
होम्योपैथी में भी टाइप 2 डायबिटीज का प्रबंधन किया जा सकता है। यहां कुछ प्रमुख होम्योपैथिक उपचार दिए गए हैं:
सिजीगियम जंबोलिनम
यह होम्योपैथिक दवा शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करती है।
यूरेनियम नाइट्रिकम
यह दवा भी डायबिटीज के लिए उपयोगी होती है।
फॉस्फोरिकम एसिडम
यह होम्योपैथिक दवा भी शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करती है।
आर्सेनिकम एल्बम
यह दवा भी डायबिटीज के लिए उपयोगी होती है।
लैक्टिक एसिडम
यह होम्योपैथिक दवा भी शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करती है।
टाइप 2 डायबिटीज और योग
योग टाइप 2 डायबिटीज के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यहां कुछ प्रमुख योगासन दिए गए हैं:
सूर्य नमस्कार
सूर्य नमस्कार शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है और शुगर के स्तर को नियंत्रित करता है।
कपालभाति
कपालभाति प्राणायाम शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
अनुलोम-विलोम
अनुलोम-विलोम प्राणायाम भी शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
भुजंगासन
भुजंगासन शारीरिक सक्रियता को बढ़ाता है और शुगर के स्तर को नियंत्रित करता है।
धनुरासन
धनुरासन भी शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
टाइप 2 डायबिटीज के लिए हेल्थ टिप्स
टाइप 2 डायबिटीज के प्रबंधन के लिए कुछ हेल्थ टिप्स दिए गए हैं:
नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच करवाएं
नियमित रूप से डॉक्टर से संपर्क में रहें और स्वास्थ्य जांच करवाएं।
शुगर का स्तर मॉनिटर करें
नियमित रूप से शुगर का स्तर जांचें और इसे नियंत्रित रखें।
स्वस्थ आहार लें
स्वस्थ और संतुलित आहार लें, जिसमें अधिक फाइबर और पोषक तत्व हों।
नियमित व्यायाम करें
नियमित व्यायाम करें, ताकि शुगर का स्तर नियंत्रित रहे।
वजन नियंत्रित रखें
स्वस्थ वजन बनाए रखें, ताकि डायबिटीज के लक्षण नियंत्रित रहें।
टाइप 2 डायबिटीज एक गंभीर स्वास्थ्य स्थिति है, लेकिन इसे उचित जीवनशैली में बदलाव, दवाइयों, और नियमित स्वास्थ्य जांच से नियंत्रित किया जा सकता है। स्वस्थ भोजन, नियमित व्यायाम, और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। टाइप 2 डायबिटीज के बारे में जागरूकता बढ़ाना और समय पर निदान और उपचार कराना आवश्यक है।
FAQs
Q.1 – टाइप 2 डायबिटीज क्या है?
टाइप 2 डायबिटीज एक प्रकार का मधुमेह है जिसमें शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बना पाता या इंसुलिन का सही उपयोग नहीं कर पाता।
Q.2 – टाइप 2 डायबिटीज के लक्षण क्या हैं?
टाइप 2 डायबिटीज के लक्षणों में अत्यधिक प्यास, बार-बार पेशाब आना, अत्यधिक भूख, थकान, वजन कम होना, धुंधला दृष्टि, और घाव भरने में देरी शामिल हैं।
Q.3 – टाइप 2 डायबिटीज का कारण क्या है?
टाइप 2 डायबिटीज के कारणों में आनुवंशिकता, अधिक वजन, अस्वस्थ खान-पान, शारीरिक निष्क्रियता, उम्र, हाई ब्लड प्रेशर, और अधिक कोलेस्ट्रॉल शामिल हैं।
Q.4 – टाइप 2 डायबिटीज का इलाज कैसे किया जाता है?
टाइप 2 डायबिटीज का इलाज जीवनशैली में बदलाव, दवाइयां, और इंसुलिन थेरेपी से किया जा सकता है।
Q.5 – क्या टाइप 2 डायबिटीज का इलाज हो सकता है?
टाइप 2 डायबिटीज का पूरी तरह से इलाज नहीं हो सकता, लेकिन इसे जीवनशैली में बदलाव और उचित उपचार से नियंत्रित किया जा सकता है।