कम रक्तचाप, जिसे हाइपोटेंशन भी कहा जाता है, और उच्च नाड़ी दर (टैकीकार्डिया) का संयोजन कभी-कभी खतरनाक हो सकता है। यह स्थिति भ्रमित करने वाली हो सकती है, क्योंकि आमतौर पर लोग मानते हैं कि उच्च नाड़ी दर का मतलब उच्च रक्तचाप होगा। हालांकि, शरीर की हृदय प्रणाली अत्यधिक जटिल होती है, और कई बार रक्तचाप और नाड़ी दर दोनों ही एक साथ असामान्य हो सकते हैं।
कम रक्तचाप (हाइपोटेंशन) क्या है?
कम रक्तचाप एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर की धमनियों में रक्त का दबाव सामान्य से कम हो जाता है। रक्तचाप को मिलीमीटर ऑफ मर्करी (mmHg) में मापा जाता है और इसे दो संख्याओं के रूप में प्रस्तुत किया जाता है: सिस्टोलिक प्रेशर (हृदय के धड़कते समय का दबाव) और डायस्टोलिक प्रेशर (हृदय के आराम की स्थिति का दबाव)। जब यह माप 90/60 mmHg से नीचे हो जाता है, तब इसे कम रक्तचाप माना जाता है। कुछ लोगों में यह सामान्य हो सकता है, लेकिन कई बार यह थकान, चक्कर आना और बेहोशी जैसे लक्षण उत्पन्न कर सकता है।
कम रक्तचाप के प्रकार
- ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन: बैठने या लेटने की स्थिति से खड़े होने पर अचानक रक्तचाप में गिरावट।
- पोस्टप्रांडियल हाइपोटेंशन: भोजन के बाद रक्तचाप में गिरावट।
- न्यूरली मेडिएटेड हाइपोटेंशन: हृदय और मस्तिष्क के बीच संचार में गड़बड़ी के कारण रक्तचाप का गिरना।
कम रक्तचाप के कारण
कम रक्तचाप कई कारणों से हो सकता है, जिनमें शामिल हैं:
- निर्जलीकरण: शरीर में तरल पदार्थ की कमी होने पर रक्त का वॉल्यूम कम हो जाता है, जिससे रक्तचाप गिरता है।
- हृदय की समस्याएँ: कुछ हृदय रोगों में हृदय पर्याप्त रक्त पंप नहीं कर पाता।
- अंत:स्रावी समस्याएँ: हार्मोनल असंतुलन, जैसे थायराइड या अधिवृक्क ग्रंथि की समस्याएँ, रक्तचाप को प्रभावित कर सकती हैं।
- दवाओं का प्रभाव: कुछ दवाइयाँ, जैसे मूत्रवर्धक और बीटा-ब्लॉकर्स, रक्तचाप को कम कर सकती हैं।
नाड़ी दर को समझना
नाड़ी दर या हार्ट रेट का मतलब होता है कि एक मिनट में आपका दिल कितनी बार धड़कता है। यह हृदय की गतिविधियों का सीधा संकेतक होता है। सामान्य रूप से, वयस्कों के लिए आराम की स्थिति में नाड़ी दर 60 से 100 बीट्स प्रति मिनट (bpm) के बीच होती है। बहुत से एथलीट्स या अच्छी शारीरिक स्थिति वाले व्यक्तियों की नाड़ी दर 40 bpm तक भी हो सकती है।
उच्च नाड़ी दर (टैकीकार्डिया) क्या है?
टैकीकार्डिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें दिल सामान्य से तेज धड़कता है, और आराम की स्थिति में भी यह 100 bpm से अधिक हो जाता है। यह एक अस्थायी या क्रॉनिक स्थिति हो सकती है, जो इस बात पर निर्भर करती है कि इसका कारण क्या है।
टैकीकार्डिया के प्रकार
- एट्रियल टैकीकार्डिया: यह हृदय के ऊपरी चेंबर (एट्रिया) में उत्पन्न होता है।
- वेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया: यह हृदय के निचले चेंबर (वेंट्रिकल्स) में उत्पन्न होता है और तुरंत इलाज न होने पर यह घातक हो सकता है।
- साइनस टैकीकार्डिया: शारीरिक गतिविधियों, तनाव, या बुखार के कारण हृदय की सामान्य गति में वृद्धि।
उच्च नाड़ी दर के कारण
उच्च नाड़ी दर के कई कारण हो सकते हैं, जैसे:
- तनाव और चिंता: मानसिक स्वास्थ्य का दिल की धड़कन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
- शारीरिक व्यायाम: शारीरिक गतिविधि के दौरान नाड़ी दर में वृद्धि होना सामान्य है।
- हृदय रोग: दिल की बीमारियाँ, जैसे अनियमित धड़कन, टैकीकार्डिया का कारण बन सकती हैं।
- निर्जलीकरण: शरीर में तरल पदार्थ की कमी होने पर हृदय को रक्त परिसंचरण के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिससे नाड़ी दर बढ़ जाती है।
कम रक्तचाप और उच्च नाड़ी दर कैसे संबंधित हैं?
कम रक्तचाप और उच्च नाड़ी दर अक्सर एक साथ उत्पन्न हो सकते हैं। जब रक्तचाप गिरता है, तो शरीर इसे संतुलित करने के लिए नाड़ी दर को बढ़ा देता है ताकि पर्याप्त रक्त प्रवाह बनाए रखा जा सके। यह शरीर की एक प्रकार की प्रतिक्रिया है, जिससे अंगों और मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन युक्त रक्त मिल सके। हालांकि, इस स्थिति में चक्कर आना, बेहोशी और थकान जैसे लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।
FAQs:
Q.1 – कम रक्तचाप और उच्च नाड़ी दर खतरनाक क्यों होते हैं?
यह स्थिति ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी और हृदय पर दबाव डालती है, जो गंभीर हो सकता है।
Q.2 – कम रक्तचाप से कैसे बचा जा सकता है?
पर्याप्त पानी पीना, नमक का सेवन बढ़ाना, और धीरे-धीरे खड़ा होना इससे बचाव के उपाय हैं।
Q.3 – उच्च नाड़ी दर को कैसे नियंत्रित करें?
गहरी सांस लें, तनाव प्रबंधन करें, और कैफीन व निकोटीन से बचें।
Q.4 – क्या हृदय रोग का कम रक्तचाप और उच्च नाड़ी दर से संबंध है?
हां, हृदय की बीमारियाँ इस संयोजन का कारण बन सकती हैं।
Q.5 – क्या कम रक्तचाप और उच्च नाड़ी दर का इलाज संभव है?
हां, उचित दवाओं और जीवनशैली में बदलाव से इसका इलाज संभव है।